बाबा नौगजा पीर का रोशनी पर्व आज,तैयारी पूरी
बाबा नौगजा पीर की मजार पर रोशनी का वार्षिक पर्व इस बार 9 दिसंबर सोमवार को मनाया जाएगा। नौगजा पीर के महंत सुमेर दास ने बताया कि सदियों से चली आ रही रिवायत के तहत नगाड़े बजाकर उत्सव का निमंत्रण दिया जाएगा।
संवाद सहयोगी, कलायत : बाबा नौगजा पीर की मजार पर रोशनी का वार्षिक पर्व इस बार 9 दिसंबर सोमवार को मनाया जाएगा। नौगजा पीर के महंत सुमेर दास ने बताया कि सदियों से चली आ रही रिवायत के तहत नगाड़े बजाकर उत्सव का निमंत्रण दिया जाएगा। बताया कि सर्व धर्म एकता के प्रतीक धार्मिक स्थल पर रोशनी पर्व को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पूजा अर्चना और मेले में जुड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर पुख्ता इंतजाम रहेंगे। व्यवस्था बनाने में पुलिस प्रशासन के साथ-साथ कार सेवक गतिशील रहेंगे। सजूमा रोड से लेकर मजार तक के रास्ते को नीले झंडों से सजाया जा रहा है। खलियानों के बीच स्थित मजार की धार्मिक मान्यता का डंका देश के कोने-कोने में बजता है। यूं तो हर बृहस्पतिवार पर मुख्य रूप से श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। रोशनी के वार्षिक पर्व पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु बाबा की मजार पर नीली चादर चढ़ाते हुए मन्नतें मांगते हैं। प्रसाद के रूप में तिल की रेवड़ियां बांटी जाती हैं। धर्म स्थल परिसर में सभी धर्मो की भावना को देखते हुए ईष्ट देवों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इस दिन श्रद्धालु मजार पर सरसों के दीप जलाकर रोशन करते हैं। सर्वधर्म एकता के प्रतीक इस वार्षिक मेले पर नगर के लगभग सभी परिवारों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। इस पूजा अर्चना के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा जहां तेल का दीप प्रज्ज्वलित करके रेवड़ी का प्रसाद वितरित करते है वहीं पीर की मजार की परिक्रमा भी की जाती है। मजार के पास एक छोटा तालाब है जहां पर पूजा अर्चना करने के पश्चात श्रद्धालुओं द्वारा इस तालाब से मिट्टी निकालने का कार्य किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस तालाब से मिट्टी निकालने के पश्चात ही पूजा अर्चना सफल होती है।
श्रद्धालुओं द्वारा लगाया जाता है भंडारा
गांव के बुजुर्गो का कहना है कि सदियों पूर्व बाबा पीर एक साधू के वेश में यहां रहते थे। बियाबान जंगल में उनका धूणा सदा ही रोशन रहता था। नगर का ही एक किसान बाबा की तपस्या से प्रभावित होकर उनकी सेवा करने लगा तथा बाबा के लिए प्रतिदिन दूध व भोजन भी सेवक द्वारा लाया जाने लगा। एक दिन की बात है कि किसान अपने खेत में इस कदर व्यस्त हुआ कि वह बाबा को दूध इत्यादि देना भूल गया। खेत में कार्य करने के बाद जब देर रात किसान घर पहुंचा तो उसे याद आया कि आज बाबा का दूध नहीं पहुंचा तो उसे बहुत पछतावा हुआ। दु:खी मन से वह रात को ही बाबा के पास दूध लेकर चला गया। धूणे के पास जहां बाबा जी तपस्या कर रहे थे वहां पहुंच कर किसान ने देखा कि बाबा निर्जीव अवस्था में पड़े है, उनकी यह हालत देखकर किसान जब वापस लौटने लगा तो अपनी दिव्य शक्ति से बाबा जीवित हो गया तथा किसान को कहा कि मैं आपकी परीक्षा ले रहा था।