लॉकडाउन में जीवन रक्षक दल बना निराश्रितों का सहारा
कमल बहल कैथल जीवन रक्षक दल लॉकडाउन में निराश्रितों का सहारा बना है। दल के संरक्षक र
कमल बहल, कैथल : जीवन रक्षक दल लॉकडाउन में निराश्रितों का सहारा बना है। दल के संरक्षक राजू डोहर ने कोरोना काल की शुरूआत में उन लोगों को आश्रय दिया, जिनका कोई नहीं था।
इस दौरान जहां जीवन रक्षक दल ने उन्हें तीन समय का खाना दिया, वहीं उन्हें रहने के लिए आश्रय भी दिया। जीवन रक्षक दल के संरक्षक राजू डोहर ने बताया कि उन्होंने कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के बीच लगातार 47 दिनों तक प्रवासी मजदूरों को आश्रय दिया था।
इस दौरान राजू ने गांव क्योड़क में अंबाला रोड स्थित अपने पैलेस में प्रवासी मजदूरों के ठहरने की व्यवस्था की। इसके साथ ही अपनी दुकान में भी एक परिवार के ठहरने की व्यवस्था की। इस समय दल की ओर से करीब 30 लोगों को ठहरने की व्यवस्था की गई थी। यहीं नहीं, जीवन रक्षक दल की ओर से लावारिस लोगों का अंतिम संस्कार भी किया गया। इस दौरान उनकी टीम में राजकुमार, नरेंद्र, सोनू वर्मा, अमित मलिक और सतबीर जाखौली शामिल रहे थे।
रहने के साथ खाने की भी की व्यवस्था :
जीवन रक्षक दल की ओर से जहां प्रवासी मजदूरों के रहने की व्यवस्था की गई। वहीं, उनके खाने का भी प्रबंध किया गया। जीवन रक्षक दल के संरक्षक राजू डोहर ने बताया कि उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों की सहायता के लिए कार्य किया था। उनकी शुरू से ही यह रुचि रही कि वह जरूरतमंद लोगों की सेवा कर सकें।
राजू ने बताया कि कोरोना की वैश्विक महामारी के बीच उन्हें जरूरतमंदों की सेवा करने का पूरा मौका मिला। इसमें जहां संस्था ने अपने स्तर पर जरूरतमंदों की सहायता की, वहीं जिला प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिला।
लावारिस लोगों का भी किया अंतिम संस्कार :
बता दें कि जीवन रक्षक दल की ओर से लावारिस लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। इसी कड़ी में लॉकडाउन के दौरान भी चार लोगों का अंतिम संस्कार किया था। इसके साथ ही नगर परिषद की टीम के साथ मिलकर कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार करवाने में सहयोग दिया।