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अवशेषों को खेतों में ही नष्ट करने की किसानों ने ली शपथ

दैनिक जागरण के अभियान पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे के तहत मलिकपुर गांव में प्रगतिशील किसान गुरदयाल के फार्म पर किसानों ने फसल के अवशेष न जलाने की शपथ ली। किसानों का कहना है कि पराली जलाने के से पर्यावरण प्रदूषित होता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 09:49 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 06:29 AM (IST)
अवशेषों को खेतों में ही नष्ट करने की किसानों ने ली शपथ
अवशेषों को खेतों में ही नष्ट करने की किसानों ने ली शपथ

जागरण संवाददाता, कैथल :

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दैनिक जागरण के अभियान पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे के तहत मलिकपुर गांव में प्रगतिशील किसान गुरदयाल के फार्म पर किसानों ने फसल के अवशेष न जलाने की शपथ ली। किसानों का कहना है कि पराली जलाने के से पर्यावरण प्रदूषित होता है। वह धान की कटाई के बाद पराली न जलाकर पर्यावरण बचाने की पहल करेंगे। बता दें कि सीवन खंड के कई गांवों के किसान पिछले तीन वर्षाें से पराली नहीं जला रहे हैं।

आग लगाने से होता नुकसान :

मलिकपुर गांव के किसान व पैक्स सीवन के चेयरमैन मेजर सिंह ने बताया कि दैनिक जागरण की ओर से किसानों को पराली न जलाने के लिए आह्वान करने का अभियान काफी सराहनीय है। मेजर ने बताया कि धान की कटाई के दौरान अधिकतर किसानों की ओर से पराली में आग लगाई जाती है। लेकिन इस आग से किसान ही स्वयं अपना नुकसान कर लेते है। इसलिए मैं अपने खेतों में पराली न जलाकर पर्यावरण बचाने में सहयोग करूंगा।

जरूरी पोषक तत्व नष्ट होते :

प्रगतिशील किसान गुरदयाल सिंह ने बताया कि किसान आग लगाकर अपनी जमीन बंजर बनाने के साथ ही पैसे की बर्बादी भी कर रहा है। आग के कारण मिट्टी के जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और फिर इनकी भरपाई करने के लिए किसान बाहर बाजार से महंगे केमिकल खरीदता है। फिर भी सही उत्पादन नहीं मिलता है। धान की कटाई के बाद बच जाने वाले पोषक तत्वों को कृषि यंत्रों व गला सड़ाकर अगर मिट्टी में ही मिला दिए जाए तो इससे उत्पादन भी अधिक होगा और केमिकल के अधिक उपयोग से भी छुटकारा मिलेगा।

फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाया :

मलिकपुर गांव निवासी किसान नरवैल ने बताया कि उन्होंने मल्चर और रोटावेटर यंत्रों का इस्तेमाल कर फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाना शुरू कर दिया। पहले कई लोग ही तंज कसते थे कि देख लेंगे जब कामयाब हो जाओगे, लेकिन उनके फसल का अधिक उत्पादन और बचत को देख अब वह भी अवशेष को मिट्टी में मिलाने लगे हैं।

वर्षो से पराली नहीं जलाते :

किसान रामदिया ने कहा कि वे सालों से पराली नहीं जलाते हैं। कृषि विभाग से सब्सिडी पर यंत्र लेकर अवशेषों को सफलता पूर्वक मिट्टी में मिलाने का काम कर रहा है। जो किसान तीन तीन ट्रैक्टर होने अवशेष में ही गेहूं की बिजाई करने पर उन्हें पागल कहते थे। अगले वर्ष वह उनसे पहले फानों में गेहूं की बिजाई कर गए।


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