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लॉकडाउन में नहीं मिल रही सवारियां तो चालकों ने ऑटो में रखकर बेचनी शुरू की सब्जियां

जागरण संवाददाता कैथल लॉकडाउन के चलते ऑटो चालकों को सवारियां नहीं मिल रही है। इस

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 06:28 AM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 06:28 AM (IST)
लॉकडाउन में नहीं मिल रही सवारियां तो चालकों  ने ऑटो में रखकर बेचनी शुरू की सब्जियां
लॉकडाउन में नहीं मिल रही सवारियां तो चालकों ने ऑटो में रखकर बेचनी शुरू की सब्जियां

जागरण संवाददाता, कैथल:

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लॉकडाउन के चलते ऑटो चालकों को सवारियां नहीं मिल रही है। इसके चलते काम धंधा ठप हो गया है। शहर में ऑटो चालकों ने दो वक्त की रोटी जुटाने का नया तरीका अपनाया है। अब चालक अपनी ऑटो पर सब्जी और फल लादकर गांव और शहर की गली-गली में बेच रहे हैं।

चालकों का कहना है कि पेट भरने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा ही। ऑटो में सुबह के समय सब्जियों को लादकर गांव व शहर की गलियों में बेचकर गुजारा कर रहे हैं।

ऑटो संचालक रामधन, कृष्ण, रामकिशन, रणधीर व रामकुमार ने बताया कि लॉकडाउन से काम धंधा चौपट हो गया है, सवारियां मिल नहीं रही है। ऑटो घर पर खड़े थे, इसलिए अब सब्जी का सीजन चला हुआ है। खेतों व मंडियों से खरीदकर ऑटों में रखकर बेचना शुरू किया है। ताकि परिवार का पालन पोषण हो सके।

खरबूजा बेचना किया है शुरू:

चालक संजीव ने बताया कि ऑटो बंद होने से किस्त नहीं भर पा रहे है। तो सोचा घर पर बैठने से अच्छा कुछ काम शुरू किया जाए। इसलिए खरबूजा को बेचने का काम शुरू किया है। सुबह ऑटो में रखकर खरबूजा बेचने जाता हूं, ताकि कुछ आमदनी हो। इस दौरान कोरोना महामारी को लेकर भी सावधानी बरतते हैं। मास्क व दस्ताने पहनते हैं। सैनिटाइजर भी साथ रखते हैं।

ऑटो संचालक संजीव का कहना है कि संचालकों के सामने परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया था। अब कुछ चालक तो खेतों से सब्जी भरते है, उसके बाद गांव व शहर में बेच रहे है, लेकिन आमदनी नाममात्र ही हो रही है। पूरा दिन घूमकर 100 से 150 रुपये की आमदनी होती है, लेकिन घर पर बैठने से अच्छा कुछ काम तो करना पड़ेगा। पहले 400 से 500 रुपये तक दिनभर में आमदनी हो जाती थी। लॉकडाउन से सभी दुकानें बंद है। सवारियां मिल नहीं रही है। वहीं दो गज की दूरी को ध्यान में रखकर दो सवारियां बिठाने के आदेश है, लेकिन तेल का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है। सरकार से मांग करते है कि ऑटो संचालकों की तरफ ध्यान देकर कुछ राहत दी जाए।


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