किसानों ने एफसीआइ कार्यालय के समक्ष दिया धरना, की नारेबाजी
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन चढूऩी व एकता उग्राहां ने पिहोवा रोड स्थित एफसीआइ कार्यालय के समक्ष धरना देकर सरकार के खिलाफ जमकर रोष प्रदर्शन किया।
संवाद सहयोगी, गुहला-चीका: संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन चढूऩी व एकता उग्राहां ने पिहोवा रोड स्थित एफसीआइ कार्यालय के समक्ष धरना देकर सरकार के खिलाफ जमकर रोष प्रदर्शन किया। धरने की अध्यक्षता किसान यूनियन के जिला उपप्रधान चमकौर सिंह व मंच का संचालन चरणजीत कौर ने किया। उन्होंने तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ तहसीलदार गुहला को ज्ञापन भी सौंपा। चमकौर सिंह व गुरदीप बदसूई ने बताया कि सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से एमएसपी और पीडीएस व्यवस्था को खत्म करने के कई प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से एफसीआइ के बजट में कटौती की जा रही है। हाल ही में एफसीआइ ने फसलों की खरीद प्रणाली के नियम भी बदले हैं, जिसमें किसानों की जमीन के पूर्व में पंजीकरण कराने की नई शर्तें रखी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि एफसीआइ को पेमेंट नहीं करके सरकार ने उसे भारी कर्जे से भी ग्रसित कर दिया है। चमकौर ने कहा कि चाहे जान भी चली जाए लेकिन एफसीआइ गोदामों को पूंजीपतियों के हाथों में नहीं जाने दिया जाएगा। इस अवसर पर सुभाष पूनिया, अंग्रेज नंदगढ़, गुरजंट टटियाना, जगदेव खरौदी, गुरमीत कांबोज, जरनैल जैली, सुल्तान सिंह मौजूद थे।
एफसीआइ कार्यालय के समक्ष निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन
संवाद सहयोगी, कलायत : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कलायत के गांव रामगढ़ पांडवा के पास किसानों ने भारतीय खाद्य निगम के कार्यालय के समक्ष धरना दिया। एफसीआइ बचाओ गरीब की दाल-रोटी बचाओ के नारे मुख्य रूप से गूंजे। निर्धारित रणनीति के तहत प्रदर्शनकारी किसान सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक कार्यालय के समक्ष डटे रहे। इस दौरान एफसीआइ को बचाने की मांग को लेकर किसान जमकर गरजे।
भाकियू जिला अध्यक्ष महेंद्र रामगढ़, युवा किसान नेता गुरनाम सिंह, सहारण खाप प्रधान रामपाल सहारण, बलवान कौलेखां, पूर्व सरपंच राजा राम बढ़सीकरी, आशीष मोर, मनोज सहारण, कृष्ण शिमला, प्रीतम लांबा खेड़ी और दूसरे किसानों ने कहा कि देश में किसान भारतीय खाद्य निगम के बाहर धरना देकर कर कृषि सुधार कानून के खिलाफ रोष जाहिर कर रहे हैं। किसानों का कहना भारतीय खाद्य निगम का सरकार निजीकरण करना चाहती है। इसके मद्देनजर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने गरीब की रोटी और दाल बचाने के साथ-साथ आम जन के हितों को लेकर आवाज बुलंद करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अनाज मंडी से किसान, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी और सभी वर्गो के हित जुड़े हैं। सरकार द्वारा मंडियों को बंद करने की जो योजना बनाई जा रही है, संयुक्त किसान मोर्चा उसे सफल नहीं होने देगा।