पत्नी बोली- पति के जेल में जाने से रोजी रोटी के पड़ गए लाले
पति दर्शन सिंह ने मेरी सास खजानी देवी के घुटनों का ऑपरेशन कराने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष योजना के तहत 60 हजार रुपये का क्लेम लिया था और पूरा पैसा सास को दे दिया था जो बड़े बेटे के साथ रहती है। वह पूरी तरह से बेकसूर है दिहाड़ी-मजदूरीकर पांच बेटियों से भरे परिवार का पालन-पोषण कर रहा था।
सुरेंद्र सैनी, कैथल
पति दर्शन सिंह ने मेरी सास खजानी देवी के घुटनों का ऑपरेशन कराने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष योजना के तहत 60 हजार रुपये का क्लेम लिया था और पूरा पैसा सास को दे दिया था जो बड़े बेटे के साथ रहती है। वह पूरी तरह से बेकसूर है, दिहाड़ी-मजदूरीकर पांच बेटियों से भरे परिवार का पालन-पोषण कर रहा था। अब 12 दिनों से जेल में जाने से परिवार पर आफत आ पड़ी है। यह कहना है प्यौदा गांव निवासी महिला कविता का। पति के जेल जाने के बाद गर्भवती महिला कविता पांच बेटियों के साथ घर पर अकेली है। अब उसे इस हालत में बेटियों का पेट भरने की चिता सताते हुए उसकी आंखों से आंसू नहीं रूक रहे रहे हैं।
कविता बताती है कि करीब एक साल पहले मूंदड़ी गांव में रहने वाले उनके रिश्तेदारों के साथ मिलकर पति ने अपनी मां के घुटनों का ऑपरेशन कराने के लिए फार्म भरा था। कई माह पहले 60 हजार रुपये मिले थे। जिस दिन पैसे आए वे राजस्थान में धार्मिक स्थल गोगापीर गए हुए थे।
पति ने इन पैसों में से एक रुपया भी नहीं लिया, पूरा पैसा सास को दे दिया, लेकिन इसके बाद भी उसके पति को पुलिस वालों ने जेल में डाल दिया। मकान खस्ता हालत में है, अगले माह डिलीवरी होनी है, वे अकेली कैसे अपने बच्चों का पेट भरेगी।
बाक्स- कमीशन के नाम पर 37 हजार हड़प गया गिरोह का सरगना
खुराना रोड नानकपुरी कालोनी में रहने वाले जगदीश ने बताया कि बेटे हरिश ने छह साल के पोते दिव्यांग अरूण के इलाज को लेकर मुख्यमंत्री राहत कोष में आवेदन करते हुए 75 हजार रुपये लिए थे। यह फार्म करीब एक-दो साल पहले फतेहाबाद के रतिया गांव निवासी गोबिद्र सिंह ने भरवाया था। कुछ माह पहले 75 हजार रुपये मिले, इसमें से 37 हजार रुपये कमीशन बता मुख्य आरोपित हड़प गया।
राशि लेने के लिए फर्जी कागजात लगाने की बात कह पुलिस ने उसके बेटे को पकड़ लिया। 12 हजार रुपये केस लड़ने के लिए वकील मांग रहा है। पुलिस खर्च हुए पैसे मांगने लगी तो 37 हजार रुपये ब्याज पर उठाकर दिए हैं। बेटा हरिश छात्रवास रोड पर फर्नीचर की दुकान में दिहाड़ी कर तीन बच्चों का पेट भर रहा था। अब जेल जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
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मुख्य आरोपित को पकड़े पुलिस
परिवार वालों का आरोप है कि उनका बेटा पूरी तरह से बेकसूर है। इस मामले में मुख्य आरोपित को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही है। आरोप है कि मुख्य आरोपित के बारे में उन्होंने पुलिस को पूरी जानकारी दे दी है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस उसे पकड़ने की बजाए हम गरीब लोगों को परेशान कर रही है। हमने तो पूरे कागजात लगाकर डाक्टरों से रिपोर्ट करवाई थी। जो मुख्य आरोपित है उसने कोई गोलमाल किया है तो इसमें हमारा क्या कसूर है। रिश्तेदार होने के नाते आरोपित ने कहा था कि वे फार्म भरवाकर पैसे दिलवा देगा। मिले हुए पैसों में से 37 हजार रुपये मुख्य आरोपित, 37 हजार रुपये पुलिस को बरामदगी के नाम दे दिए, अब तो उसके बेटों को जेल से छोड़ा जाए, लेकिन उनकी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वे पुलिस थानों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
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कैथल, फतेहाबाद, हिसार सहित
कई जिलों से जुड़े मामले के तार
मुख्यमंत्री राहत कोष में फर्जी कागजात लगाते हुए आवेदन कर राशि हड़पने के मामले के तार न केवल कैथल में बल्कि हिसार, फतेहाबाद, राजस्थान सहित अन्य जिलों से भी जुड़े हुए हैं। पुलिस ने इस मामले की जांच को आगे बढ़ाते हुए कई अस्पतालों से रिकार्ड कब्जे में लिया है। इन फर्जी आवेदनों में सामने आया था कि बीमारियों के नाम गलत तरीके से भरे हुए थे।