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ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री नीम साहिब और मंजी साहिब धार्मिक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र, देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

शहर के स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री नीम साहिब और मंजी साहिब पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। युद्ध के समय में दिल्ली जाते समय श्री गुरु तेग बहादुर जी यहां पर तीन दिन तक रुके और यहां पर लोगों को ज्ञान दिया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 06:21 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 06:21 AM (IST)
ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री नीम साहिब और मंजी साहिब धार्मिक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र, देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु
ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री नीम साहिब और मंजी साहिब धार्मिक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र, देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, कैथल : शहर के स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री नीम साहिब और मंजी साहिब पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। युद्ध के समय में दिल्ली जाते समय श्री गुरु तेग बहादुर जी यहां पर तीन दिन तक रुके और यहां पर लोगों को ज्ञान दिया था। मान्यता है कि इस गुरुद्वारे में स्थित नीम के नीचे गुरुजी रुके थे, जहां उन्होंने सत्संग किया था। दोनों ही गुरुद्वारों की काफी मान्यता है। यहां पर देशभर से सिख श्रद्धालु पहुंचते हैं। गुरुओं के प्रकाश पर्व पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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जानिये क्यों पड़ा गुरुद्वारे का नाम नीम साहिब

गुरुद्वारा नीम साहिब शहर के डोगरा गेट पर स्थित है। यहां मुगलों से युद्ध के दौरान सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी दिल्ली जाते समय यहां रुके थे और उन्होंने नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान लगाया था। गुरुद्वारा परिसर के मुख्य भवन में श्री गुरु ग्रंथ साहिब विराजमान हैं। गुरुद्वारे में स्थापित सरोवर में श्रद्धालु अमावस्या के दिन सुबह के समय स्नान करने के लिए पहुंचते हैं।

गुरु तेग बहादुर सेवा दल के पदाधिकारी एडवोकेट मनिद्र सिंह ने बताया कि मान्यता है कि गुरुद्वारा के स्थान पर सिख गुरु तेग बहादुर अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। कहा जाता है कि गुरुजी सुबह स्नान के बाद नीम के पेड़ के नीचे ध्यान लगाते थे। ध्यान लगाते समय उन्हें उनके अनुयायियों ने देख लिया। एक अनुयायी गंभीर बुखार से पीड़ित हो गया। गुरुजी ने उन्हें नीम के पत्ते खाने के लिए दिए और वह बिल्कुल ठीक हो गया। लंबे समय के बाद गुरुद्वारे का निर्माण इस जगह पर हुआ। दूरदराज से सभी समुदाय के लोग यहां माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं और इस गुरुद्वारे में निर्मित सरोवर में डुबकी लगाते हैं। वर्तमान में गुरुद्वारा परिसर में स्थित सरोवर के बरामदे का निर्माण किया जा रहा है। जिसका कुछ दिन पहले ही लेंटर डाला गया है।

श्री मंजी साहिब गुरुद्वारा में गुरु तेग बहादुर ने प्रचार के समय किया था कीर्तन

वहीं, शहर के कमेटी चौक के समीप स्थित श्री मंजी साहिब गुरुद्वारे में भी दूर-दूर से सिख श्रद्धालु अरदास करने के लिए पहुंचते हैं। इस गुरुद्वारे में ही सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी ने कीर्तन कर लोगों को प्रवचन दिया था। गुरुजी के यहां पहुंचने के कारण इस गुरुद्वारे की काफी मान्यता है।

गुरुद्वारे के हेड ग्रंथी साहिब सिंह ने बताया कि ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार गुरु श्री तेग बहादुर जब अपने प्रचार के दौरे पर थे। उस समय जब वह मालवा की धरती पर प्रचार कर रहे थे तो उसके बाद वह जब बांगर की धरती पर आए तो वह कैथल भी पहुंचे थे। उस समय अधिक तरखान सिख की उनके संपर्क में थे। जब वह जींद के धमतान साहिब में पहुंचे थे। उस समय कैथल के एक तरखान सिख जुगल सिंह उन्हें कैथल में लेकर आए। इसी समय श्री मंजी साहिब गुरुद्वारा में प्रवचन भी किया था। इस दौरान कैथल में रह रहे सेठ परिवारों ने भी गुरु की महिमा का बखान किया।

बन रहा नया भवन

श्री मंजी साहिब गुरुद्वारा में भव्य भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। इस निर्माण कार्य पर करीब पांच करोड़ रुपये की लागत आएगी। परिसर का ढांचा लगभग तैयार हो चुका है। जिसके तहत भूमिगत लंगर हाल का निर्माण हो चुका है। अब यहां पर दरबार साहिब स्थापित करने के लिए जल्द ही लेंटर डाला जाना है। यह कार्य अगले एक साल तक पूरा हो जाएगा। इस कार्य के तहत गुरुद्वारे के दो मुख्य गेटों पर बुलेट प्रूफ शीशा लगाया जाएगा।


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