बच्चों की रुचि और योग्यता को पहचानें अभिभावक
जागरण संवाददाता, कैथल : मनोवैज्ञानिक डॉ. विजय वालिया ने कहा कि हम बच्चों की योग्यता को सिर्फ अंकों स
जागरण संवाददाता, कैथल : मनोवैज्ञानिक डॉ. विजय वालिया ने कहा कि हम बच्चों की योग्यता को सिर्फ अंकों से नहीं आंक सकते हैं। बच्चे मानसिक रुप से स्वस्थ रहें इसके लिए जरूरी है कि अभिभावक उनकी रुचि और योग्यता को पहले पहचान लें।
ज्यादातर अभिभावक बच्चों से अनावश्यक उम्मीदें पाल लेते हैं। जो नहीं करना चाहिए। जरूरी है कि हम अपने बच्चे की खूबियों और कमियों की पहचान करें। ऐसा नहीं है कि बच्चे के अंक कम आए हैं तो वह योग्य नहीं या फिर जीवन में कुछ बन नहीं सकता है। अक्सर माता पिता कम नंबर आने पर बच्चे को यह महसूस करवाते हैं कि वह नकारा है और वह जीवन में कुछ नहीं कर सकता है। आज ऐसे केसों से किताबें भरी पड़ी हैं जो अच्छे अंक नहीं ला पाए, लेकिन वह आज अच्छे पदों पर आसीन हैं या कामयाब हैं और खुशहाल जीवन जी रहे हैं। हर बच्चे में कुछ न कुछ खासियत होती है बस उस बच्चे को सही मार्गदर्शन की जरूरत होती। कई बार माता पिता अपने अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए बच्चों को वह करियर चुनने को मजबूर कर देते हैं जिसमें उसकी रुचि ही नहीं है। धीरे धीरे यह बच्चे को तनाव की ओर ले जाता है। बॉक्स
पेपरों के समय पर विशेष रुप से ध्यान दें अभिभावक
उनके पास ऐसे केस आए हैं कि बच्चा पहली कक्षा से ही प्रथम आ रहा है। उसके दिमाग में ये फिट कर दिया गया है कि वह प्रथम ही आएगा। यह प्रथम शब्द ही तनाव का कारण बन जाता है। बच्चा होशियार होते हुए भी पिछड़ने के डर से खुद को तनाव से घेर लेता है। ऐसे केस भी अधिक आते हैं कि बच्चा पूरा साल पढ़ता नहीं है और फिर पेपरों के समय में नंबर कम आने के डर से खुद को तनाव से घेर लेते हैं। नंबर कम आने की कई वजह हो सकती हैं, इसलिए सिर्फ नंबरों से योग्यता मत आंकें। कम अंक आने का कारण जानें और जो कमियां पिछले वर्ष रह गई हैं आगे उनको दूर किया जा सकता है। कम अंक आने पर माता पिता तुरंत रिएक्ट ना करें। बच्चों को रोजाना 15-20 मिनट मेडिटेशन जरूर करवाने की आदत डालें। यह बच्चों को हर बुरी स्थिति से निकलने में सहयोग करेगा। बॉक्स
लगातार तनाव पर मनोवैज्ञानिक से लें सलाह
पेपरों के समय और फिर परिणाम आने के समय पर बच्चे नर्वस हो सकते हैं जो आम बात हैं, लेकिन वही बच्चा अगर लगातार तनाव में रहे और हर बात पर चीज पर गलत रिएक्ट करना शुरु कर दे तो बच्चे के साथ बुरा बर्ताव करने के स्थान पर तुरंत किसी मनोवैज्ञानिक के पास लेकर जाएं, ताकि सही समय पर काउंस¨लग हो सके या इलाज मिल पाए।