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सांस्कृतिक, साहित्यिक अभिरुचि रखने वाले लोगों के लिए ग्रुप का किया गठन

माइलस्टोन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कलाकारों एवं सांस्कृतिक साहित्यिक अभिरुचि रखने वाले लोगों के लिए ग्रुप का विधिवत गठन किया। जिसमे सर्व सम्मति से डा. प्रद्युम्न भल्ला प्रधान नियुक्त किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 06:26 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 06:26 AM (IST)
सांस्कृतिक, साहित्यिक अभिरुचि रखने  वाले लोगों के लिए ग्रुप का किया गठन
सांस्कृतिक, साहित्यिक अभिरुचि रखने वाले लोगों के लिए ग्रुप का किया गठन

जागरण संवाददाता, कैथल : माइलस्टोन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कलाकारों एवं सांस्कृतिक, साहित्यिक अभिरुचि रखने वाले लोगों के लिए ग्रुप का विधिवत गठन किया। जिसमे सर्व सम्मति से डा. प्रद्युम्न भल्ला प्रधान नियुक्त किया। जबकि विश्वजीत को उप-प्रधान बनाया गया। कुनाल और रविद्र रवि को कैशियर और अतुल शर्मा को महासचिव नियुक्त किया गया। महिला प्रतिनिधि वंदना शर्मा को व कुमार सुशील को सांस्कृतिक सचिव का पदभार दिया गया। डा. प्रद्युम्न भल्ला ने कहा कि सूफी गायन हो या गजल गीत, कविता, नृत्य हर क्षेत्र के अभिरुचि रखने वालों को इस मंच से जोड़ा जा रहा है ताकि कला का कोई भी क्षेत्र अछूता न रह पाए। बता दें कि मंच भारतीय सभ्यता के दायरे में उसे और मुखर रूप से प्रस्तुत करना चाहता है, ताकि अनभिज्ञ लोगों तक कला पहुंचाई जा सके व मृत होती कलाओं को जीवित रखा जा सके। बैठक में कई उच्चकोटी के सूफी गायक, वक्ता,कवि शामिल हुए जिन्होंने अपनी-अपनी कला से समा बांधा। सभा की शुरूआत कुमार सुशील ने प्रभु वंदना से की। सूफी रंग में मेरे साहिबा मैं तेरी हो चुकी व वंदना शर्मा ने ''''ओ लाल मेरी पत रखियो'''' और अन्य ़ग•ालों-गीतों के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन किया। गोपाल ने इंसान के आजकल के स्वाभाव पर तीखा व्यंग्य किया। विश्वजीत की गाई ़ग•ालें ''''नए परिदों को उड़ने में व़क्त तो लगता है'''' व ''''थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी ने महफ़लि में रंग भर दिया। रामचंद्र ने हरियाणवी भजन की प्रस्तुति दी। कुनाल ने अपनी नृत्य कला का एक अनोखा ²श्य प्रस्तुत किया जिसमें मन के भावों को गीत, संगीत और हाव-भाव के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। अतुल वत्स ने हरियाणवी गीत पर ठुमके लगाकर सबको नाचने पर मजबूर कर दिया। राज ''''बेअकल'''' की चार पंक्तियां यह मेरी हंसी है, जो तेरे चेहरे पे न•ार आती है, हम चुप हैं और तूं बेवजह इतराती है। कई होठों को मुस्कान दे गई। इस मौके पर रविद्र रवि व डा. प्रद्युम्न भल्ला और संजीव कुमार ने भी अपनी प्रस्तुति दी।

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