पिक बसों के न चलने से छात्राएं परेशान
कोरोना के कारण लगे लाकडाउन के बाद हर तरह की गतिविधियां अनलाक हो गई हैं लेकिन रोडवेज में छात्राओं के लिए चलने वाली स्पेशल पिक बसें अभी तक रूटों पर नहीं चली है।
जागरण संवाददाता, कैथल : कोरोना के कारण लगे लाकडाउन के बाद हर तरह की गतिविधियां अनलाक हो गई हैं, लेकिन रोडवेज में छात्राओं के लिए चलने वाली स्पेशल पिक बसें अभी तक रूटों पर नहीं चली है। बता दें कि डिपो के पास छात्राओं के लिए गांव से शहर तक लाने व ले जाने के लिए पांच पिक बसें मिली हुई है, लेकिन कोरोना के समय एंबुलेंसों की कमी के कारण इन बसों को अस्पताल द्वारा एंबुलेंस बनाकर प्रयोग किया गया था, अब नई एंबुलेंस भी सिविल अस्पताल को मिल चुकी है। उसके बाद ये बसें सिविल अस्पताल में खड़ी हुई है। रोजाना अब स्कूल-कालेज खुलने के बाद पढ़ने के लिए आने वाली छात्राओं की संख्या बढ़ रही है, जिससे उन्हें आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छात्राएं मजबूरी में प्राइवेट बसों या साधनों में सफर कर रही हैं।
चार हजार के करीब छात्राएं आती है स्कूल कालेजों में पढ़ने
रोजाना चार हजार के करीब छात्राएं कैथल आइजी, राजकीय, जाट कालेज, आरकेएसडी के साथ-साथ आइटीआइ और स्कूलों में पढ़ाई के लिए पहुंचती हैं। सुबह संस्थान खुलने के समय व सायं को छुट्टी के बाद बसों की कमी के कारण छात्राओं को धक्का मुक्की का सामना करना पड़ता है। इस दौरान छात्राओं को कालेज तक आने व कालेज से घर तक पहुंचने और भीड़ से बचने के लिए लंबे इंतजार करना पड़ता है।
बसों को चलाया जाए : छात्राएं
छात्रा सुमन, रीटा, मुकेश, कोमल व मुस्कान व सोनिया ने बताया कि गांव से आते जाते समय भीड़ के कारण परेशानी होती है और फिर शहर में भी आकर आटो वालों को आते-जाते रुपए देने पड़ते हैं और कई बार रुपए नहीं होते हैं तो पैदल ही बस स्टैंड और कालेज तक जाते हैं। रोडवेज की बस सर्विस बहुत ही कम है और छात्राओं ने बस पास बनवाए हुए हैं। ऐसे में भीड़ में ही छात्राओं को सफर करना पड़ता है। कई बार तो खिड़की तक में खड़े होकर सफर करने की नौबत आती है। छात्राओं को परेशानी न हो, इसलिए पिक बसों को चलाया जाए।
आधुनिक सुविधाओं से लैस है रोडवेज की पिक बसें
पिक बसें सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। बसों में सीसीटीवी कैमरे, इमरजेंसी डोर और अलार्म की सुविधा भी दी गई हैं। बसों में फायर सेफ्टी सुरक्षा के सभी यंत्र लगाए गए हैं। बस से उतरने के लिए बस के दरवाजे के पास एक बटन दिया गया है जिसके दबाने पर अलार्म बजेगा और ड्राइवर गाड़ी रोक देगा। बसों में जीपीएस भी लगाया गया है ताकि विभाग के अधिकारियों द्वारा बसों की मानिटरिग की जा सके।
पिक बसों को सिविल अस्पताल में एंबुलेंस में प्रयोग किया जा रहा है। उनकों बस वापस लौटाने के लिए बोला गया है। जल्द ही बस वापस आने की उम्मीद है। उसके बाद रूटों पर बसों को शुरू कर दिया जाएगा।
अजय गर्ग, जीएम कैथल।