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रामलला के नानके से मिट्टी लेकर अयोध्या आए मोहम्मद फैज

अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की बात आई तो उनके नानके की मिट्टी और पानी के बिना यह कैसे पूरा होता।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 06:10 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 06:10 AM (IST)
रामलला के नानके से मिट्टी लेकर अयोध्या आए मोहम्मद फैज
रामलला के नानके से मिट्टी लेकर अयोध्या आए मोहम्मद फैज

पंकज आत्रेय, कैथल: अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की बात आई तो उनके नानके की मिट्टी और पानी के बिना यह कैसे पूरा होता।

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इसी भावना को आत्मसात करके माता कौशल्या के कौशलप्रदेश छत्तीसगढ़ के चंदखुरी गांव स्थित मंदिर से मिट्टी लेकर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक रायपुर निवासी मोहम्मद फैज खान 13 दिन पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे। इस मिट्टी-पानी को चार अगस्त की रात्रि ट्रस्ट के लोगों को सौंप दिया, जिसे भूमि पूजन के समय रखा गया।

फैज खान बताते हैं, मुझे अकस्मात ही भगवान राम का आदेश हुआ कि उनके ननिहाल से मिट्टी-पानी पहुंचाना है। 23 जुलाई को पैदल ही चल पड़े और पूजन से पहले की रात पहुंच गए।

कैथल पहुंचे मोहम्मद फैज खान, उनके साथ आए मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डा.इमरान चौधरी और एडवोकेट शिराज कुरैशी अयोध्या से मंदिर की मिट्टी लाए हैं। यह मिट्टी उन्होंने स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश को सौंपी।

श्रीराम मंदिर को लेकर

जागृत अभियान पर है

मोहम्मद फैज खान ने बताया कि देश भर में वे मुसलमानों में गाय, गीता और श्रीराम मंदिर को लेकर जागृत अभियान पर हैं। 24 जून 2017 से सद्भावना के नाम से लेह-लद्दाख से पदयात्रा शुरू की। इसके जरिये बकरीद और मुहर्रम जैसे मुकद्दस मौकों पर गाय को गुड़-चारा खिलाने की मुहिम चलाई। जन जागृति अभियान के तहत श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए नारा दिया गया, कसम खुदा की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे। आज यह नारा सार्थक हुआ, क्योंकि राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट से फैसले से भूमि पूजन तक विरोध में कोई आवाज नहीं उठी।

उनकी पदयात्रा पूर्वी भारत से होते हुए रामेश्वरम के रास्ते कन्याकुमारी पहुंची और यहां से मध्य भारत होते हुए वापस माता वैष्णो देवी के मंदिर में संपन्न हुई। 30 माह 11 दिन में उन्होंने 15 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा की।

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विरोध हुआ धमकी भी मिली

मोहम्मद फैज खान और डा.इमरान चौधरी ने बताया कि मुस्लिम समुदाय में उन्हें इस मुहिम को लेकर चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। फोन पर और वैसे भी कई बार धमकियां तक दी गई, लेकिन उनके कदम रूके नहीं। सोशल मीडिया पर भी धमकियां मिली। जब भी कोई शुभ काम करना हो तो विघ्न तो आता ही है। भगवान श्रीराम का जीवन ही इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। फैज बोले, जा पर किरपा राम की होई, ता पर किरपा करे सब कोई। देश भर के मुसलमानों को सच्चाई से रूबरू करवाना, गोहत्या को रोकना और श्रीराम मंदिर निर्माण की अलख जगाए रखना ही उनका मकसद है। ओवैसी के बारे में फैज खान ने कहा कि वह कुंठित लोग हैं। इनकी बातों कोई अर्थ नहीं बनता।

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निशाने पर रहा संघ

मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डा.इमरान चौधरी का कहना है कि राम मंदिर निर्माण हम सब के लिए फख का विषय है। हमेशा यह देखा जाता था कि हिदू और मुस्लिम के बीच दीवार खड़ी करने वाली ताकतें कुछ और थीं और वह इल्जाम लगाया करती थीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर। आज यह स्पष्ट हो गया कि मुस्लिमों के समर्थन के बीच ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर की नींव रख दी है। हम हमेशा उनके खिलाफ काम करते रहेंगे, जो मुसलमानों में रहकर उन्हें पीछे धकेलने का काम करते रहे हैं। उन्हें अब समझ आना चाहिए कि मुस्लिम सिर्फ वोट बैंक नहीं है।


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