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परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए विभाग कर रहा विशेष प्रयास

कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने कहा कि शिक्षा विभाग का सालाना बजट करीब साढ़े 12 हजार करोड़ रुपये है। इतना खर्च करने के बाद भी ठीक से रिजल्ट नहीं आ रहे हैं। उसे सुधारने के लिए विभाग की ओर से प्रयास शुरू कर दिया है। वे अंबाला रोड स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक की गई थी। इसमें फैसला लिया गया कि बोर्ड की साइट पर दसवीं व 12वीं कक्षा के पिछले तीन सालों के पेपर आनलाइन डाले जाएंगे। पेपर डाल दिए गए हैं और अध्यापकों को कहा गया है कि बच्चों से इन पेपरों को हल करवाओ। तीन से चार बार अभ्यास के बाद बच्चों को पता लग जाएगा कि सवाल कितना बड़ा लिखना है और किस तरीके से लिखना है। ठीक से अनुमान होने पर बच्चे परीक्षाओं में पास हो सकेंगे। इसके अलावा बच्चों के लिए स्किल पासबुक शुरू की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 12:00 AM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 03:06 AM (IST)
परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए   विभाग कर रहा विशेष प्रयास
परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए विभाग कर रहा विशेष प्रयास

सुनील जांगड़ा, कैथल : स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने कहा कि शिक्षा विभाग का सालाना बजट करीब साढ़े 12 हजार करोड़ रुपये है। इतना खर्च करने के बाद भी ठीक से रिजल्ट नहीं आ रहे हैं। उसे सुधारने के लिए विभाग की ओर से प्रयास शुरू कर दिया है। वे अंबाला रोड स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक की गई थी। इसमें फैसला लिया गया कि बोर्ड की साइट पर दसवीं व 12वीं कक्षा के पिछले तीन सालों के पेपर आनलाइन डाले जाएंगे। पेपर डाल दिए गए हैं और अध्यापकों को कहा गया है कि बच्चों से इन पेपरों को हल करवाओ। तीन से चार बार अभ्यास के बाद बच्चों को पता लग जाएगा कि सवाल कितना बड़ा लिखना है और किस तरीके से लिखना है। ठीक से अनुमान होने पर बच्चे परीक्षाओं में पास हो सकेंगे। इसके अलावा बच्चों के लिए स्किल पासबुक शुरू की जाएगी। इसके तहत बच्चों को ¨हदी, अंग्रेजी व गणित पढ़ाया जाएगा। एक कक्षा पढ़कर जब बच्चा अगली कक्षा में होगा तो उसकी स्किल पासबुक भी भेजी जाएगी। उसमें ये लिखा जाएगा कि बच्चा किस विषय में ठीक है और किस में कमजोर है। जिसमें कमजोर होगा अगले साल उस विषय पर ध्यान दिया जाएगा।

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50 प्रतिशत भी नहीं बोर्ड का रिजल्ट

उन्होंने बताया कि पिछली बार दसवीं का रिजल्ट 46 प्रतिशत रहा और 12वीं का 55 प्रतिशत। साढ़े 12 हजार करोड़ खर्च करने के बाद भी रिजल्ट 50 प्रतिशत भी नहीं आया। इसके लिए उन स्कूलों के ¨प्रसिपल की मी¨टग ली है जिनका रिजल्ट दस प्रतिशत से भी कम आया है। मी¨टग में उन्हें बता दिया गया है कि रिजल्ट कैसे ठीक करें और ठीक नहीं किया तो उसका परिणाम क्या होगा।

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कक्षा 12वीं तक चार बार ही

फीस ले सकते निजी स्कूल

पीके दास ने बताया कि सभी प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले हर साल 31 दिसंबर तक विभाग को फार्म छह जमा करवाना होगा। जो स्कूल यह फार्म जमा नहीं करवाएगा वह फीस में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं कर पाएगा। प्राइवेट स्कूल वाले बच्चों से खेलों के लिए अलग से पैसे लेते हैं। ऐसे स्कूलों की अब जांच की जाएगी कि क्या वे जो पैसे लेते हैं उतने खिलाड़ियों पर खर्च भी करते हैं या नहीं। अभिभावक निजी स्कूलों कक्षा 12वीं तक चार बार ही दाखिला फीस जमा करवाए। पहली, छठी, नौवीं और 11वीं में दाखिला देना होता है। इसके अलावा अगर कोई स्कूल दाखिला लेता है तो उसकी शिकायत विभाग को करें। शिकायत पर तुंरत कार्रवाई की जाएगी।


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