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पराली न जलाकर मिट्टी की सेहत और पैसे दोनों बचा रहे किसान

दैनिक जागरण के अभियान पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे को लेकर सोमवार कवारतन गांव में चौपाल कार्यक्रम का आयोजन हुआ। मुख्य रूप से कृषि उपनिदेशक कर्मचंद ने शिरकत की। इसमें बड़ी संख्या में ऐसे किसान भी पहुंचे जो वर्षो से फसल अवशेष नहीं जला रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2020 06:49 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2020 06:49 AM (IST)
पराली न जलाकर मिट्टी की सेहत  और पैसे दोनों बचा रहे किसान
पराली न जलाकर मिट्टी की सेहत और पैसे दोनों बचा रहे किसान

जागरण संवाददाता, कैथल :

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दैनिक जागरण के अभियान पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे को लेकर सोमवार कवारतन गांव में चौपाल कार्यक्रम का आयोजन हुआ। मुख्य रूप से कृषि उपनिदेशक कर्मचंद ने शिरकत की। इसमें बड़ी संख्या में ऐसे किसान भी पहुंचे, जो वर्षो से फसल अवशेष नहीं जला रहे हैं। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि किस तरह वे वर्षो में अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।

उपनिदेशक ने कहा कि किसान आग लगाकर अपनी जमीन बंजर बनाने के साथ ही पैसे की बर्बादी भी कर रहा है। आग के कारण मिट्टी के जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और फिर इनकी भरपाई करने के लिए किसान बाहर बाजार से महंगे केमिकल खरीदता है। फिर भी सही उत्पादन नहीं मिलता है। धान की कटाई के बाद बच जाने वाले पोषक तत्वों को कृषि यंत्रों व गला सड़ाकर अगर मिट्टी में ही मिला दिए जाए तो इससे उत्पादन भी अधिक होगा और केमिकल के अधिक उपयोग से भी छुटकारा मिलेगा। अंत में किसानों ने पराली नहीं जलाने की शपथ भी ली।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कृषि विकास अधिकारी डा. सज्जन सिंह ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरता शक्ति कमजोर होने लग गई थी। उसको देखते हुए किसानों ने अवशेष न जलाने की शपथ ली है।

फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाना शुरू किया

किसान सीता राम ने बताया कि उन्होंने दो वर्षो से रोटावेटर कृषि यंत्र का इस्तेमाल कर फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाना शुरू कर दिया। इससे उनकी जमीन की गुणवता बढ़ रही है। वहीं उनके फसल का अधिक उत्पादन और बचत को देख कर अन्य किसान भी अवशेष को मिट्टी में मिलाने लग गए हैं। इससे पानी की खपत भी कम हो रही है। खाद की जगह अवशेष कार्य कर रहे है। उनका कहना है कि पर्यावरण प्रदूषण भी बचेगा। बीमारियां कम फैलेगी।

वर्षो से नहीं जलाते फसल अवशेष

युवा किसान गुरविद्र सिंह ने बताया कि कृषि विभाग से सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बेलर कृषि यंत्र खरीदें हैं। इनका इस्तेमाल कर अवशेष प्रबंधन के साथ ही कमाई भी कर रहा है। वे सालों से फसल अवशेष नहीं जलाते हैं। कृषि विभाग से सब्सिडी पर यंत्र लेकर अवशेषों को सफलता पूर्वक मिट्टी में मिलाने का काम कर रहा है। जीरो ड्रिल मशीन से फानों में गेहूं की बिजाई कर रहे हैं।


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