मंडियां कम खुलने के कारण किसानों को टमाटर का नहीं मिल पा रहा उचित रेट
कोरोना महामारी का टमाटर के रेट पर असर पड़ रहा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर प्रदेशभर में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस कारण मंडियां कम ही खुल रही है। मंडी का समय कम होने के कारण टमाटर उत्पादक किसानों को टमाटर चार रुपये किलो बेचना पड़ रहा है। इससे किसानों की लागत भी पूरी नहीं हो पा रही है।
जागरण संवाददाता, कैथल:
कोरोना महामारी का टमाटर के रेट पर असर पड़ रहा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर प्रदेशभर में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस कारण मंडियां कम ही खुल रही है। मंडी का समय कम होने के कारण टमाटर उत्पादक किसानों को टमाटर चार रुपये किलो बेचना पड़ रहा है। इससे किसानों की लागत भी पूरी नहीं हो पा रही है।
किसानों का कहना है कि टमाटर इस वर्ष घाटे का सौदा बनकर रह गया है। पिछले सीजन में टमाटर के अच्छे रेट मिल जाते थे, लेकिन दो साल से टमाटर के रेट नहीं मिलते है। इससे टमाटर उत्पादक किसान काफी परेशान हो गए हैं। टमाटर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि 25 किलोग्राम की एक कैरेट 100 रुपये की बिक रही है। पिछले सीजन में 25 किलो की कैरेट 500 रुपये तक बिकी जाती थी। कोरोना के कारण पिछले सीजन में भी लाखों का नुकसान टमाटर किसान को उठाना पड़ा था। यही हाल इस साल हो गया है। इन दो सालों से पहले टमाटर से अच्छी आमदनी हो जाती थी।
बॉक्स- तीन ब्लाक में सबसे ज्यादा होती है टमाटर की खेती
कैथल जिले के सीवन व राजौंद व पूंडरी ब्लाक में किसान टमाटर की खेती करते है। 400 एकड़ के करीब टमाटर की खेती की जाती है। किसानों का कहना है कि सरकार की भावातंर भरपाई योजना का भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। अपनी मनमर्जी से मंडी में टमाटर का रेट लगाया जा रहा है। किसानों को भी खराब होने के भय में टमाटर सस्ता बेचना पड़ रहा है।
बॉक्स- लागत भी नहीं हो रही पूरी: किसान सुखदेव
किसान सुखदेव, राजेश, रणधीर, रामकिशन, रामनिवास सिंह व राजू सिकंदरखेड़ी का कहना है कि एक एकड़ में टमाटर की फसल पकने तक का खर्च देखा जाए तो 80 से 90 हजार रुपये प्रति एकड़ हो जाता है। फसल पकने के बाद प्रति कैरेट पर 30 रुपये तुड़ाई, छंटाई के दिए जाते हैं, लेकिन इस बार लागत तो दूर तुड़ाई के रेट भी मुश्किल से पूरे हो रहे है। किसानों ने बताया कि कोरोना से पहले 20 रुपये प्रति किलो टमाटर मिलता था, लेकिन अब चार रुपये किलो बिक रहा है। अब हालात खराब हो गए हैं। सरकार एक तरफ तो सब्जियों को बढ़ावा देने की बात करती है। दूसरी तरफ कोई सब्जी से भी आय नहीं हो रही है।