बासमती धान में कृषि अधिकारियों की सिफारिश किए रसायनों का ही स्प्रे करें : डा. रामनिवास
कृषि विज्ञान केंद्र कैथल में बासमती धान में कीटनाशकों का सुरक्षित और न्यायसंगत उपयोग एवं उत्तम कृषि प्रक्रियाओं को अपनाना विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, कैथल : कृषि विज्ञान केंद्र कैथल में बासमती धान में कीटनाशकों का सुरक्षित और न्यायसंगत उपयोग एवं उत्तम कृषि प्रक्रियाओं को अपनाना विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 200 के करीब किसानों ने हिस्सा लिया। इसमें मुख्यातिथि के रूप में चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डा. रामनिवास ने शिरकत की। संचालन कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डा.रमेश चंद्र वर्मा ने किया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर कृषि उपनिदेशक डा. कर्मचंद रहे। डा. रामनिवास ने कहा कि किसान वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों द्वारा सिफारिश किए गए रसायनों का ही स्प्रे करें ताकि बासमती धान का विदेशों से आयात निर्यात करते समय किसी प्रकार की परेशानी न हो। किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही खाद बीज और दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान अधिक पैदावार लेने के लिए धान की फसल में अत्यधिक खाद और रासायनिक दवाओं का छिड़काव करते हैं। इससे फसल का उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ दाने में यूरिया और रासायनिक दवा के अंश भी बढ़ जाते हैं। ऐसा चावल खाने से अनेक प्रकार की बीमारियां बढ़ रही हैं।
कृषि उपनिदेशक डा.कर्मचंद ने कहा कि कैथल को बासमती धान का कटोरा कहा जाता है। यहां पर 46 हजार एकड़ में बासमती का उत्पादन होता है। किसान रासायनिकों को प्रयोग बीमारी आने पर ही करें। रासायनिक दवाई का छिड़काव ज्यादा करने से आयात निर्यात में भारी परेशानी करती है। इस कारण किसान को अच्छा रेट नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि किसान फसल अवशेषों में आग न लगाएं। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जा रहे है। डा.रमेश चंद्र ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र कैथल द्वारा बासमती धान की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समय-समय पर कैंपों के माध्यम से किसानों को जानकारी मिलती है। इस मौके पर डा. ओमप्रकाश लठवाल, डा. जसबीर विज्ञानिक, प्रगतिशील किसान महेंद्र रसीना, सतबीर प्यौदा, कुलदीप धारीवाल, सतपाल गोहरा, राजेश सिकंदरखेड़ी व फकीरचंद मौजूद थे।