एचएसजीपीसी में वर्चस्व की जंग, झींडा को बहुमत साबित करने को कहा
एचएसजीपीसी में वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई है। कैथल में 18 सदस्यों ने बैठक कर मुख्यमंत्री से मिलने की रणनीति बनाई।
जेएनएन, कैथल। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीपीसी) में वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई है। कैथल में 18 सदस्यों ने बैठक कर मुख्यमंत्री से मिलने की रणनीति बनाई। यही नहीं, प्रधान जगदीश सिंह झींडा को भी बहुमत साबित करने की चुनौती दी गई। उधर, झींडा ने इन लोगों को शरारती करार दिया है।
उल्लेखनीय है कि इस कमेटी का कार्यकाल 2016 में समाप्त हो चुका है। कमेटी के वरिष्ठ उप प्रधान दीदार सिंह नलवी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 2014 में 41 सदस्यीय एडहॉक कमेटी बनाई थी, जिसकी मियाद 18 महीने थी, जो कि जनवरी 2016 में खत्म हो चुकी है। 20 दिन पहले झींडा से मांग की गई थी कि कार्यकारिणी के पुनर्गठन की मांग की थी, मगर हमेशा की तरह वह अपनी चलाते रहे।
पिछले सात महीने से वह लापता हैं। इसलिए फैसला किया गया कि सीएम मनोहर लाल से मिलकर कमेटी के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की जाएगी। इस मौके पर जगजीत सिंह, करनैल सिंह, अजीत सिंह खालसा, मोहनजीत सिंह, जसवंत सिंह सोनीपत व अन्य उपस्थित थे।
परवाह नहीं कर रहे झींडा
एडवोकेट सुरजीत सिंह ने कहा कि चार साल बीते, मगर प्रधान झींडा कुछ नहीं कर रहे। इसी वजह से झींडा के खिलाफ 27 से ज्यादा सदस्य हैं। जब तक नई कमेटी नहीं बनेगी, हरियाणा के गुरुद्वारों का करोड़ों रुपया पंजाब जाता रहेगा। कार्यकारिणी सदस्य जसबीर सिंह भाटी ने कहा कि झींडा बहुमत साबित करें या पद छोड़ें।
यह शरारती लोग हैं : झींडा
अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारते हुए जगदीश सिंह झींडा ने कहा कि कुछ शरारती लोग कमेटी को खत्म कर देना चाहते हैं। मुझे बदनाम करने के लिए यह इस तरह के बयान देते हैं। रही मेरे लापता होने की बात तो कुछ समय पहले ही कार्यकारिणी की बैठक ली गई।
बकौल झींडा, चार माह पहले मुझसे इन लोगों ने इस्तीफा मांगा था तो मैंने जनरल बॉडी की बैठक में इस्तीफा दे दिया था। इसमें 40 में 32 सदस्यों ने यह कहते हुए मुझे ही प्रधान बने रहने को कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जब तक केस है, वही प्रधान रहेंगे। मुख्यमंत्री से कमेटी की एक्सटेंशन के लिए मिलने का प्रस्ताव अच्छा है। मैं भी इसमें साथ हूं।