तीसरे नवरात्र पर मंदिरों में उमड़े भक्तजन, की चंद्रघंटा की पूजा
तीसरे नवरात्र पर्व पर की मां चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा
जागरण संवाददाता, कैथल : वीरवार को तीसरे नवरात्र पर्व पर मां चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान सुबह और शाम के समय शहर के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। नवरात्र के व्रत रखने वाले श्रद्धालु शहर के छोटी देवी और बड़ी देवी मंदिर में माथा टेकने के लिए पहुंचे।
मां के भक्तों ने ढांड रोड स्थित शिव शक्ति धाम के मुख्य पुजारी पंडित प्रेम शंकर ने बताया कि नवरात्र पर्व के दौरान मां दुर्गा अलग-अलग स्वरूपों की साधना की जाती है। मैया के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी वजह से इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। इनकी 10 भुजाएं और तीन आंखें हैं। आठ हाथों में खड्ग, बाण आदि दिव्य अस्त्र-शस्त्र हैं।
नवरात्र के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने की पूजा
सीवन : मां दुर्गा की महा उपासना नवरात्र में हर दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। मां के हर रूप की अलग महिमा का बखान भी साधकों व भक्तों ने किया है। नवरात्र के तीसरे दिन देवी के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की गई। स्वर्ग द्वार शिव मंदिर के महंत सुरेंद्र गिरी ने तीसरे नवरात्र की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके बाद आरती की गई। इस मौके पर पर लाला चतुर्भुज बंसल, मा. रामनाथ, संगीत बंसल, भीषू चौधरी, डा. बहाुदर सिंह मदान, राजकुमार रहेजा, मोहित बंसल मौजूद रहे।
नवरात्र पर्व में मंदिरों में
पूजा का विशेष महत्व
राजौंद : पावन नवरात्र के तीसरे दिन मंदिरों में मां के श्रद्धालुओं ने चंद्रघंटा मां की पूजा-अर्चना की। श्रद्धालु प्रथम नवरात्र से ही मंदिरों में सुबह व शाम के समय पूजा अर्चना के लिए काफी संख्या में पहुंच रहे हैं। नगर के दुर्गा मंदिर, मां भद्रकाली मंदिर व प्राचीन शिव मंदिर में पूरे नगर से मां के सानिध्य में उपवास करने वाले श्रद्धालुओं को देखकर पुरा वातावरण धार्मिक हो जाना स्वभाविक ही है। आचार्य रामभगत हरितस ने बताया कि श्रद्धालुओं द्वारा नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की गई। उन्होंने कहा कि नवरात्र पर्व के दौरान शास्त्रों के अनुसार मंदिरों में पूजा का विशेष महत्व है।
राम के नाम जपने से ही मनुष्य के कट जाते हैं पाप : बांके बिहारी
पूंडरी: श्री पूंडरीक तीर्थ एवं मंदिर सुधार सभा द्वारा राम मंदिर में शुरू हुई आठ दिवसीय संगीतमय श्री रामकथा के तीसरे दिन मुख्यातिथि के रूप में भगवान दास सरदाना ने भाग लिया। श्री रामकथा कथा वाचक श्री बांके बिहारी शास्त्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि श्रीराम नाम में ही दिव्य शक्ति और प्रबल प्रभाव है। नाम जपने से ही मनुष्य के पाप कट जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। रावण जैसे राक्षसों का संहार कर उन्हें भी मुक्ति प्रदान की। श्रीराम जी ने बाली जैसे पापाचारियों का संहार कर सत्य धर्म का साथ देते हुए रामराज्य की स्थापना की। शास्त्री ने भगवान भोले नाथ की महिमा का भी गुणगान करते हुए कहा कि भोले बाबा श्रेष्ठ सद्गुरु है, जिनका आश्रय लेकर प्राणी भगवत प्राप्ति बड़ी सुगमता से कर लेता है। इस मौके पर रवि दत्त शास्त्री, बृज भूषण बंसल, भगवान दास सरदाना, रमेश शर्मा, विनोद, जोगिद्र शर्मा, महेंद्र सैनी, अशोक अग्रवाल व रमेश सिगला मौजूद थे।