नगर परिषद के लिए चुनौती बन रहे बेसहारा गोवंश
ोबेसहारा गोवंश की समस्या के समाधान को लेकर प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। नप भी एक बार गोशाला संचालकों की मीटिग बुलाकर दोबारा मीटिग बुलाने का नाम नहीं ले रही है।
जागरण संवाददाता, कैथल : बेसहारा गोवंश की समस्या के समाधान को लेकर प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। नप भी एक बार गोशाला संचालकों की मीटिग बुलाकर दोबारा मीटिग बुलाने का नाम नहीं ले रही है। बेसहारा पशुओं की समस्या नगर परिषद के लिए चुनौती बनती जा रही है। शहर में करीब 700 बेसहारा पशु घूम रहे हैं। पांच से दस पशुओं के झुंड एक साथ सड़कों पर घूमते रहते हैं। इनके कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। शहर के लोग भी पशुओं को पकड़ने की मांग कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। रात के समय हादसा होने की ज्यादा संभावना होती है। काले रंग के पशु सड़कों पर बैठ जाते हैं, जिनके कारण वाहन चालक चोटिल हो जाते हैं।
गोशालाओं के पास चंदे की कमी शहर में कपिस्थल नंदी गोशाला, कुरुक्षेत्र गोशाला, गोपाल और कृष्ण गोशाला मुख्य रूप से संचालित हैं। इनमें करीब नौ हजार गोवंश की देखभाल हो रही है। कोरोना के कारण गोशालाओं में चंदा नहीं आ रहा है। गोशालाओं की ओर से चारे के लिए रेहड़ी लगाई जाती थी जो कि बंद हैं। सरकार की ओर से भी कोई बजट नहीं भेजा रहा है। गोशाला संचालकों की ओर से प्रशासन और लोगों से सहयोग की अपील की जा रही है।
समस्या को लेकर अधिकारियों से किया जा रहा विमर्श
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि बेसहारा पशुओं की समस्या को लेकर उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श किया जा रहा है। जल्द ही समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।