कृषि उपनिदेशक ने घर की छत और बालकनी को बनाया बगीचा
घर में छोटे-छोटे पौधों की भरमार है। यहां तक कि फलदार पौधे भी लगाए हुए हैं। इनकी संभाल वैसे तो पूरा परिवार करता है लेकिन खास ध्यान कैथल कृषि विभाग के उपनिदेशक कर्मचंद रखते हैं।
सोनू थुआ, कैथल
शहर में एक घर ऐसा भी है जहां हरियाली देखकर यकीन ही नहीं होता कि हम शहरी क्षेत्र में हैं। इस घर में छोटे-छोटे पौधों की भरमार है। यहां तक कि फलदार पौधे भी लगाए हुए हैं। इनकी संभाल वैसे तो पूरा परिवार करता है, लेकिन खास ध्यान कैथल कृषि विभाग के उपनिदेशक कर्मचंद रखते हैं। उन्होंने घर की छत व बालकनी में 40 तरह के करीब 150 पौधे लगा रखे हैं।
उनका कहना है कि सुकून व सुख से जीने के लिए पेड़ पौधे जरूरी हैं। यह वायु प्रदूषण को भी कम करते हैं। साथ ही ऑक्सीजन भी देते हैं। इससे मकान की सुंदरता तो बढ़ती ही है, साथ में प्रदूषण रहित शुद्ध हवा मिलती है।
ये पौधे लगाए हैं
कर्मचंद बताते हैं कि उन्होंने घर पर ऑक्सीजन देने वाले मनी प्लांट, एरिका पाम, तुलसी, एलोवरा, बरगद, फाइकस, बाबू प्लांट, जरबेरा व जूही के पौधे घर के चारों तरफ जगह छोड़कर लगाए हैं। वहीं फलदार में आम, जामुन, अमरूद, नींबू, आंवला, चिकू व किन्नू के पौधे घर के पास ही गमलों में तैयार कर लिए हैं। औषधीय पौधे तुलसी, हींग, हार सिगार, अर्जुन, कढ़ी पत्ता, गिलोय के 20 पौधे तैयार किए हैं, इनसे जैविक दवाइयां भी तैयार कर रहे है। छत पर गुडहल, सदाबहार, गेंदा, गुलदाऊदी, गुलमोहर के पौधे प्लास्टिक की बाल्टियों व अन्य वेस्ट वस्तुओं में लगाएं हुए हैं। बोतल पाम, दैजा पाम, फैंगस व अशोक के पौधे लगाकर घर को सजावटी बना सकते है।
घर की छत पर उगा रहे जैविक सब्जियां
कर्मचंद अपने घर की छत पर जैविक सब्जियां उगा रहे है। उन्होंने बताया की सीजन अनुसार सब्जियां उगा लेते हैं। उन्होंने घर की छत पर चहादीवारी निकालकर उसमें मिट्टी डाली हुई है। जिसमें प्याज, टमाटर, घिया, तोरी, करेला, हरी मिर्च, बैंगन, मूली, गाजर की बेल व पौधे लगाते हैं। सुबह व शाम ड्यूटी से आने से पहले व जाने के बाद रोजाना इनकी देखभाल करते हैं। देसी खाद का प्रयोग कर रहे है।
सामाजिक कार्यक्रमों में लोगों को पौधे लगाने के लिए करते हैं जागरूक
सामाजिक कार्यक्रमों में लोगों को पौधे लगाने के लिए जागरूक करते हैं। जहां पर ड्यूटी होती है, वहां पर खाली पड़ी जगह में भी बरगद, नीम, पीपल सहित छायादार पौधे लगवाते हैं। उनका कहना है कि पेड़ पौधे ही धरती के वातावरण को अनुकूल रखते हैं।