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डिवाइडरों पर रात को बंद रहती है लाइटें, कर्मचारियों ने छोड़ा काम

शहर में स्ट्रीट लाइटों की समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है। रात को लाइट जलाने वाले तीन कर्मचारियों ने एक सप्ताह से काम छोड़ रखा है। नप ने उन्हें वेतन देना बंद कर दिया है जिस कारण अब कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 06:29 AM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 06:29 AM (IST)
डिवाइडरों पर रात को बंद रहती है लाइटें, कर्मचारियों ने छोड़ा काम
डिवाइडरों पर रात को बंद रहती है लाइटें, कर्मचारियों ने छोड़ा काम

जागरण संवाददाता, कैथल : शहर में स्ट्रीट लाइटों की समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है। रात को लाइट जलाने वाले तीन कर्मचारियों ने एक सप्ताह से काम छोड़ रखा है। नप ने उन्हें वेतन देना बंद कर दिया है, जिस कारण अब कर्मचारी काम नहीं कर रहे हैं।

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शहर के सभी मुख्य डिवाइडरों पर लाइटें रात को बंद रहती हैं। डिवाइडरों पर लगी करीब 2200 लाइटों में से एक हजार लाइटें खराब पड़ी हैं। ऐसे में शहर के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रात को सड़कों पर बेसहारा पशु आकर बैठ जाते हैं, जिससे सड़क हादसे होने का खतरा बना रहता है। अंधेरे में सड़क पर बैठे काले रंग के बेसहारा पशु दिखाई नहीं देते।

हालांकि नगर परिषद की तरफ से डिवाइडरों पर लगी लाइटों को ठीक करने के लिए दस लाख रुपये का एस्टीमेट तैयार किया है। इसे मंजूरी के लिए जिला पालिका आयुक्त को भेजा हुआ है। लाइटों को लेकर जिला पालिका आयुक्त ने नगर परिषद और नगर पालिकाओं से लाइटों की स्थिति को लेकर रिपोर्ट मांगी हुई है। जिले भर की रिपोर्ट तैयार करके इसे शहरी स्थानीय निकाय विभाग में भेजा जाएगा। बहरहाल लघु सचिवालय हो या जिला नगर पालिका आयुक्त का कार्यालय, शहर में स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त करने की कार्यवाही सिर्फ बंद कमरों में किए जाने वाले खोखले दावों तक ही सिमट रही है।

वार्डों में भी रहती है समस्या

शहर में 31 वार्ड हैं। वार्डों में भी करीब पांच सालों से नई लाइटें नहीं लग पाई हैं। करीब दो साल पहले सभी वार्डों में पांच-पांच लाख रुपये की नई स्ट्रीट लाइटें लगाने का प्रस्ताव पास किया गया था। इनका टेंडर भी लगा दिया था, लेकिन निकाय विभाग के आदेशों के बाद रद कर दिया गया था। हर वार्ड में 40 से 50 लाइटें खराब पड़ी हैं। शहर के डिवाइडरों और वार्डों में करीब 12 हजार लाइटें लगी हुई हैं, जिनमें से करीब ढाई हजार लाइटें खराब पड़ी हैं। ढांड रोड, अंबाला रोड, चीका रोड विश्वकर्मा चौक से परशुराम चौक तक, जींद रोड, परशुराम चौक से चीका रोड ड्रेन तक, करनाल रोड, मानस रोड पर लाइटों की समस्या बनी हुई है।

राजस्थान की एजेंसी को दिया हुआ है काम

शहरी स्थानीय निकाय विभाग की ओर से शहर में नई एलइडी लाइटें लगाने के लिए राजस्थान की एजेंसी को काम दिया हुआ है। एजेंसी ने अभी तक सर्वे भी शुरू नहीं किया है। काम शुरू होने में अभी लंबा समय लग सकता है। फिलहाल नप ने लाइटों की रिपेयर को लेकर ठेका दिया हुआ है, जिस पर महीने में एक लाख 60 हजार रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

टेंडर नहीं लगा पा रहे

नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी बलबीर सिंह ने बताया कि निदेशालय के आदेशानुसार नई लाइटें लगाने के लिए टेंडर नहीं लगा पा रहे हैं। डिवाइडरों पर लगी लाइटों की रिपेयर को लेकर दस लाख रुपये का एस्टीमेट तैयार किया हुआ है। इसे स्वीकृति के लिए जिला पालिका आयुक्त के पास भेजा हुआ है। रात को डिवाइडरों की लाइट जलाने के लिए वैकल्पिक रास्ता निकाला जा रहा है।


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