चौथे नवरात्र पर मंदिरों में मां कुष्मांडा की पूजा की
नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना हुई। इनकी पूजा से रोगों का नाश होता है। धन-धान्य और संपदा की प्राप्ति होती है। भौतिक और आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता है। चौथे नवरात्र पर मंदिरों में भारी भीड़ रही।
जागरण संवाददाता, कैथल :
नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना हुई। इनकी पूजा से रोगों का नाश होता है। धन-धान्य और संपदा की प्राप्ति होती है। भौतिक और आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता है। चौथे नवरात्र पर मंदिरों में भारी भीड़ रही। बड़ी देवी मंदिर सुबह ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। इसके अलावा प्राचीन एसडीएम कोर्ट दुर्गा मंदिर में भी अल सुबह ही श्रद्धालु पहुंचे। इसके अलावा श्री ग्यारह रुद्री मंदिर, श्री सनातन धर्म मंदिर और सेक्टर-19 के शिव मे भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। ढांड रोड स्थित शिव शक्ति धाम मंदिर के पुजारी डा. प्रेमशंकर शास्त्री ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कूष्मांडा ने ही इस संसार की रचना की थी। यही कारण है कि इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से देवी की अराधना करने से यश, बल, आयु, सम्मान और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
घर की सुख शांति कामना की
राजौंद : पावन नवरात्र के चौथे दिन मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना कर घर की सुख शांति कामना की। आचार्य रामभगत हरित ने बताया कि मां दुर्गा के चौथे स्वरूप को कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि वह अपनी हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न करती है। वे सूर्य मंडल के भीतर निवास करती है। उन्होंने कहा कि सूर्य के समान उनकी दैदीप्यमान कांति है। आठ भुजाओं के कारण उन्हें अष्टभुजी देवी भी कहा जाता है। सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चंद्र तथा गदा होता है। मां कुष्मांडा भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं। वैसे तो मंदिरों में पूजा अर्चना हर रोज होती है, परंतु नवरात्रे पर्व के दौरान मंदिरों में पूजा का विशेष महत्व शास्त्रों में दिया गया है, जिस पर कायम रहते हुए महिला श्रद्धालु टोलियों के साथ मंदिरों में गीत गाते हुए पहुंच रही हैं।