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नप अधिकारियों की कमी के कारण वार्डो में नहीं लग पाई नई लाइटें : पार्षद

शहर में करीब दस साल पहले वार्डो और डिवाइडरों पर नई स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थी। साल 2016 से मई 2021 तक पार्षदों का कार्यकाल रहा। इन पांच सालों में पार्षदों ने वार्डों में नई लाइटें लगवाने के प्रयास तो किए लेकिन नई लाइटें नहीं लगवा पाए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 08:00 AM (IST)
नप अधिकारियों की कमी के कारण वार्डो में नहीं लग पाई नई लाइटें : पार्षद
नप अधिकारियों की कमी के कारण वार्डो में नहीं लग पाई नई लाइटें : पार्षद

जागरण संवाददाता, कैथल : शहर में करीब दस साल पहले वार्डो और डिवाइडरों पर नई स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थी। साल 2016 से मई 2021 तक पार्षदों का कार्यकाल रहा। इन पांच सालों में पार्षदों ने वार्डों में नई लाइटें लगवाने के प्रयास तो किए, लेकिन नई लाइटें नहीं लगवा पाए। नगर परिषद की हर हाउस की बैठक में स्ट्रीट लाइटों का एजेंडा रखा गया। दिसंबर 2019 में हाउस की बैठक में हर वार्ड के लिए पांच-पांच लाख रुपये की नई लाइटें लगवाने का एजेंडा पास कर दिया गया। नगर परिषद की तरफ से नई लाइटों को लेकर टेंडर भी लगा दिए गए थे। उसी दौरान शहरी स्थानीय निकाय विभाग की तरफ से सभी जिलों में नई एलइडी लाइटें लगाने के लिए एक एजेंसी को ठेका दे दिया गया। नप ने टेंडर खोलने की अनुमति लेने के लिए निदेशालय को पत्र लिखा, लेकिन निदेशालय ने मना कर दिया। नप अधिकारियों ने लाइटों के लिए लगाए गए टेंडर रद कर दिए। उसके बाद पार्षदों ने कई बार नप अधिकारियों से लाइटें लगवाने की मांग की, लेकिन कोई समाधान नहीं हो पाया।

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अधिकारियों की रही नाकामी

पूर्व पार्षद वीरेंद्र सैनी ने कहा कि पांच साल के कार्यकाल में कई बार स्ट्रीट लाइटों का एजेंडा उठाया गया। कई बार पार्षद एकत्रित होकर नप अधिकारियों से मिले, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। नगर परिषद अधिकारियों की नाकामी के कारण ही वार्डों में नई लाइटें नहीं लग पाई। आज भी वार्ड में स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था बदहाल है। कई-कई बार शिकायत करने के बाद कर्मचारी लाइटें ठीक करने के लिए आते हैं। लाइटें पुरानी हो चुकी हैं और रोशनी भी कम हो चुकी है। खराब लाइटों की समस्या के कारण वार्ड की गलियों में अंधेरा रहता है।

अपने स्तर पर खर्च कर चुके 50 हजार रुपये

पूर्व पार्षद कुलदीप ने बताया कि वार्ड में स्ट्रीट लाइटों का बुरा हाल है। लाइट का एजेंडा ऐसा था, जिस पर सभी पार्षदों की सहमति बन जाती थी। वार्डो में पांच-पांच लाख रुपये की नई एलइडी लाइटें लगनी थी, लेकिन नप अधिकारियों ने टेंडर रद कर दिया था। उसके बाद भी कई बार अधिकारियों को टेंडर लगाने के लिए कहा गया था। वे अपने वार्ड में करीब 50 हजार रुपये लाइट व्यवस्था पर खर्च कर चुके हैं। कई बार लाइटों को अपने स्तर पर ही ठीक करवाते हैं। जहां ज्यादा जरूरत होती है वहां नई लाइटें भी लगवाई हैं।


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