रसायनों के उपयोग से जमीन की घट रही पोषण क्षमता
फसलों को उगाने में लगातार रसायनों के प्रयोग से जमीन की ताकत खत्म कर रहे हैं। यदि फसल उगाने वाली जमीन के अंदर पोषक तत्व ही नहीं होंगे तो लोगों में कुपोषण तो फैलेगा। सरकार की ओर से अधिक पैदावार के लिए किसानों को आग्रह करने के बाद वे खेतों में दवाइयां अधिक डाल रहे है।
जागरण संवाददाता, कैथल :
फसलों को उगाने में लगातार रसायनों के प्रयोग से जमीन की ताकत खत्म कर रहे हैं। यदि फसल उगाने वाली जमीन के अंदर पोषक तत्व ही नहीं होंगे तो लोगों में कुपोषण तो फैलेगा। सरकार की ओर से अधिक पैदावार के लिए किसानों को आग्रह करने के बाद वे खेतों में दवाइयां अधिक डाल रहे है। इस कारण जमीन पिछले काफी वर्षाें में निष्क्रिय हुई है। वर्तमान में हम केवल अपना पेट भरने के लिए ही भोजन ग्रहण कर रहे हैं, इसके पौष्टिकता को लेकर हमारे अंदर कोई जागरूकता नहीं हैं।
प्रगतिशील किसान एवं कृषि विज्ञानी ईश्वर सिंह कुंडू ने बताया कि किसानों की तरफ से आजादी के बाद तो प्राकृतिक तरीकों से खेती की जाती थी, लेकिन वर्तमान में यह परम्परा बंद हो चुकी है। जिस कारण जमीन की उर्वरक क्षमता भी कम होती जा रही है। कुपोषण का मुख्य कारण जमीन में पौषटिक तत्वों का खत्म होना है। जब तक जमीन में पोषक तत्व नहीं होंगे, तब तक सुरक्षित भोजन नहीं खाया जा सकता है। हमें कुपोषण से बचने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। मशीनी युग होने के कारण आज खेती का हर कार्य मशीनों से होने लगा है। जागरूकता की कमी के कारण किसान सब्जियां, धान, गेहूं व अन्य फसलों में क्षमता से अधिक अंधाधुंध दवाइयां डाल रहे हैं, जिसके चलते खाद्य पदार्थ जहरीले होते जा रहे हैं।
सरकार और प्रशासन को जहरीली खेती से बचाव को लेकर गांव-गांव में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हुए किसानों व ग्रामीणों को जागरूक करना चाहिए, तभी जाकर इसका प्रयोग कम हो पाएगा। जहरीला भोजन के सेवन से कैंसर, दिल की बीमारी व अन्य प्रकार के रोगों के शिकार हम हो रहे हैं।