फसल अवशेष न जलाकर जमीन को बंजर होने से बचाएं
फसल कटाई के बाद खेत में बचे अवशेषों को आग लगाने से धरती बंजर हो सकती है। अगर धरती को बंजर होने से बचाना है तो सबसे पहले खेतों में खड़े फानों को आग लगाना बंद करना पड़ेगा। इसके लिए केवल सरकार और अधिकारी कुछ नहीं कर सकते।
जागरण संवाददाता, कैथल:
फसल कटाई के बाद खेत में बचे अवशेषों को आग लगाने से धरती बंजर हो सकती है। अगर धरती को बंजर होने से बचाना है तो सबसे पहले खेतों में खड़े फानों को आग लगाना बंद करना पड़ेगा। इसके लिए केवल सरकार और अधिकारी कुछ नहीं कर सकते। इस धरती को बचाने के लिए हम सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। फसल अवशेष प्रबंधन पर दैनिक जागरण अभियान पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे अभियान पर विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय बताई। कृषि विशेषज्ञों ने साफ कहा कि अगर अब भी जागरूक नहीं हुए तो 50 से 100 सालों में इस धरती से पानी के खत्म होने और इसके बंजर होने की भविष्यवाणी सच हो जाएगी।
फसलों को होता है नुकसान
कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य कृषि विज्ञानी डा.रमेश चंद वर्मा ने बताया कि फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों में आग लगाने से धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे मिट्टी की ऊपरी सतह सख्त हो रही है। ऊपरी सतह सख्त होने पर इसकी पानी सोखने की क्षमता कम होती जा रही है। पानी के ना सोखने पर भी कई-कई दिनों तक खेत में पानी खड़ा रहता है। इससे फसलों को नुकसान होता है। इतना ही नहीं आग से मित्र कीट नष्ट हो जा रहे हैं। इन्हीं मित्र कीटों के नष्ट होने पर फसल तक पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते, जिस कारण पैदावार लगातार कम होती जा रही है। इससे बचने के लिए फानों को आग से बचाना होगा। फानों को खेत की मिट्टी में मिलाने से इसकी उपजाऊ शक्ति बढ़ती है।
फानों में आग लगाने के मामले में कमी आई हैं
कृषि विकास अधिकारी सज्जन सिंह ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यह जागरूकता का ही असर है कि पिछले साल के मुकाबले फानों में आग लगाने के मामले में कमी आई हैं। जिले में सैकड़ो गांव ऐसे हैं जिनमें फानों में आग लगाने की एक भी घटना नहीं हुई है। फसल अवशेष यंत्रों पर 50 से 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। किसानों को ओर ज्यादा जागरूक होने की आवश्यकता है।
एडीओ जगबीर लांबा ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से जमीन की उर्वरता शक्ति कमजोर होती है। फसल अच्छी नहीं होती है। फसल अवशेषों को किसान जमीन में मिला सकते है। जमीन में अवशेष मिलाने से यूरिया खाद की कम खपत होती है। जीरो ड्रिल मशीन के माध्यम से किसान अवशेषों में ही गेहूं की बिजाई कर सकते है। अच्छी फसल निकलती है। पानी की जरूरत कम पड़ती है।