इंच भर भी नहीं सरकी किलोमीटर स्कीम वाली बसें
किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों के पहिए अभी भी थमे हुए हैं। कहां तो इन्हें किलोमीटर के हिसाब से चलाया जाना था और कहां स्कीम शुरु होने के बाद चार माह से इंच भर भी नहीं सरकी।
जागरण संवाददाता, कैथल:
किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों के पहिए अभी भी थमे हुए हैं। कहां तो इन्हें किलोमीटर के हिसाब से चलाया जाना था और कहां स्कीम शुरु होने के बाद चार माह से इंच भर भी नहीं सरकी। बसों के पहिए थमने से बस मालिकों को घाटा हो रहा हैं। ऐसे में बस संचालक फाइनेंस की किश्तें व ऋण आदि भी नहीं भर पा रहे हैं।
बता दें कि 22 मार्च से कोरोना महामारी के बाद देश में लॉकडाउन शुरू हो गया था। महामारी के मद्देनजर सरकार ने बस बंद करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद अनलॉक वन में रोडवेज की बसों का संचालन 30 सवारियों के साथ शुरू कर दिया। वहीं अनलॉक दो से प्राइवेट बसें के भी पहिए घूम रहे हैं। लेकिन अब तक किलोमीटर बसों को चलाने की मंजूरी नहीं दी जा रही है। इससे बस संचालकों को परेशानी हो रही है। घर का गुजारा चलाना मुश्किल हो रहा है।
15 बसें चलती है डिपो से किलोमीटर स्कीम के तहत
किलोमीटर स्कीम के तहत डिपो से 15 बसों का संचालन होता है। एक बस हर रोज एक लाख के करीब आमदनी लेकर आती है। लेकिन अब तक बसों के पहिए न चलने से 68 लाख के करीब आमदनी को नुकसान हो चुका है। लॉकडाउन के समय से ही बसें बस स्टैंड पर ही खड़ी हुई हैं। बसों को चलाने के लिए विभाग की तरफ से कोई आदेश नहीं आए है। घर का पालन पोषण करने के लिए आर्थिक तंगी आ गई है।
कोर्ट केस कारण एक साल तक खड़ी रही थी बसें
संचालकों का कहना है कि जनवरी 2019 में बसों को संचालन होना था। लेकिन कोर्ट केस के कारण एक साल एक महीने तक कोई मार्ग उपलब्ध नहीं हुआ। उसके बाद 28 फरवरी 2020 को बसों को रूट दिए गए, लेकिन इससे पहले कुछ तो पहले ही घाटा हो रहा था कुछ अब कोरोना महामारी में बसें खड़ी होने से घाटा हो गया है। सभी बसों के न दौड़ने से 15 लाख के करीब आमदनी कम हो रही है।
बसों की सर्विसिंग करवाने के लिए पैसे नहीं: प्रधान
जिला प्रधान अनिल कुमार ढुल का कहना है कि किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसें नहीं चल रही है। कई बार विभाग के अधिकारियों को शिकायत कर चुके है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है। इससे काफी नुकसान बस संचालकों को हो गया है। बसों की बैटरी खराब हो रही है। बसों की सर्विसिंग करवाने के लिए पैसे नहीं है।
15 प्रतिशत बसों को चलाया जाए
बस संचालक विरेंद्र कुमार ने कहा कि प्राइवेट बसों की तरह 15 प्रतिशत बसों को चलाया जाए। बस संचालकों की आमदनी में इजाफा हो सकता है। ये बसें घाटे का सौदा बन गई है। परिवहन मंत्री से समस्याओं के बारे में अवगत कराया गया था लेकिन वर्तमान समय तक कोई समाधान नहीं हुआ है। अब बसों का परिचालन बंद होने का असर आगामी छह महीने तक पड़ेगा। सभी को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा।
आदेश आने के बाद बसों का संचालन किया जाएगा
टीएम कमलजीत ने बताया कि उच्चाधिकारियों द्वारा बस चलाने के कोई आदेश नहीं आए है। बस आदेश आने के बाद बसों का संचालन कर दिया जाएगा।