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कांग्रेस के गढ़ में बढ़ा भाजपा का वोट बैंक, इनेलो व कांग्रेस का ग्राफ घटा

विधानसभा क्षेत्र कैथल में भाजपा को मिली भारी बढ़त से जहां भाजपाई उत्साहित है वहीं कांग्रेस खेमे में मायूसी है। मतगणना के बाद शुक्रवार को जहां भाजपाइयों ने इस जीत का जश्न मनाया वहीं कांग्रेसी इस हार की समीक्षा करते दिखे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 10:17 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 10:17 AM (IST)
कांग्रेस के गढ़ में बढ़ा भाजपा का वोट बैंक, इनेलो व कांग्रेस का ग्राफ घटा
कांग्रेस के गढ़ में बढ़ा भाजपा का वोट बैंक, इनेलो व कांग्रेस का ग्राफ घटा

सुरेंद्र सैनी, कैथल : विधानसभा क्षेत्र कैथल में भाजपा को मिली भारी बढ़त से जहां भाजपाई उत्साहित है, वहीं कांग्रेस खेमे में मायूसी है। मतगणना के बाद शुक्रवार को जहां भाजपाइयों ने इस जीत का जश्न मनाया, वहीं कांग्रेसी इस हार की समीक्षा करते दिखे।

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ढांड रोड पर स्थित किसान भवन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बैठक कर किसी बूथ पर हार व जीत हुई इसे लेकर चर्चा की। आगामी प्लानिग को लेकर भी विचार-विमर्श हुआ। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशी नवीन जिदल को 35 हजार के करीब वोट मिले थे, लेकिन इस बार बढ़ने की बजाए 32 हजार 868 रहे गए हैं जो काफी नुकसान हुआ है। पिछले चुनाव में भाजपा को जो वोट मिले थे, उससे कहीं ज्यादा इस बार भाजपा के नायब सैनी को 89 हजार 229 वोट मिले हैं जो अपने आप में एक रिकार्ड है। पिछले विस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला को यहां से 49 हजार 190 वोट मिले थे। यहां सबसे ज्यादा नुकसान इनेलो को हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां से इनेलो प्रत्याशी कैलाश भगत 40 हजार के करीब वोट लेने में सफल रहे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राव सुरेंद्र सिंह को 38 हजार के करीब वोट मिले थे। इस बार इनेलो प्रत्याशी पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते अर्जुन सिंह चौटाला को 3611 वोट मिले हैं, जबकि पिछले लोस चुनाव में 30 हजार 952 वोट मिले थे।

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कांग्रेस को वापसी के लिए लगाना पड़ेगा एड़ी-चोटी का जोर

2002 के विस चुनाव में इनेलो का इस सीट पर कब्जा था। इनेलो की टिकट पर लीला राम करीब 18 हजार वोटों से जीतकर यहां से विधायक बने थे, लेकिन 2005 के चुनाव में इनेलो ने उनका टिकट काटते हुए समाजसेवी कैलाश भगत को उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री शमशेर सिंह सुरजेवाला को यहां से प्रत्याशी बनाया। करीब पांच हजार वोटों से सुरजेवाला यह चुनाव जीतने में सफल रहे थे। इस चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला नरवाना विस क्षेत्र से चुनाव लडे़ थे और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को हराकर विधायक बने, जो बाद में कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। नरवाना हलका रिजर्व होने के बाद शमशेर सिंह सुरजेवाला ने बेटे रणदीप सिंह सुरजेवाला के लिए कैथल सीट को छोड़ दिया। 2009 व 2014 में रणदीप यहां से 22 व 24 हजार के अंतर से विधायक बने। जीत की हैट्रिक लगा चुके सुरजेवाला के लिए इस बार की लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत चिताजनक हो सकती है। भले ही पिछले लोस चुनाव में हार के बाद वे विस चुनाव में बढ़त बनाने में सफल रहे हो, लेकिन इस बार वापसी करना इतना आसान नहीं रहेगा।

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इस तरह से मजबूत हुई भाजपा

तीन बार इनेलो की टिकट पर विस चुनाव लड़े कैलाश भगत का भाजपा में शामिल होने से शहर में भाजपा को काफी मजबूती मिली है। इसका असर इस चुनाव में दिखाई भी दिया है। कैलाश पंजाबी समुदाय से संबंध रखते हैं। 20 हजार के करीब पंजाबियों के इस क्षेत्र में वोट हैं। नई अनाज मंडी एसोसिएशन के लगातार दूसरी बार प्रधान बने कृष्ण मित्तल ने भी 20 मार्च को सीएम मनोहर के होली मिलन समारोह कार्यक्रम में भाजपा का दामन थाम लिया था। विस व लोस चुनाव में शहर की अनाज मंडी का अहम रोल रहता है। इस बार के लोस चुनाव में आइटीआइ बूथ से भाजपा को बढ़ी जीत मिली है। वहीं पूर्व विधायक लीला राम भी पिछले विस चुनाव से पहले इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।

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