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बीरेंद्र सिंह ने कहा, एसवाईएल पर पंजाब व हरियाणा की सरकारों की नीयत में खोट

केंदीय मंत्री बीरेद्र सिंह ने एसवाईएल नहर मामले पर हरियाणा और पंजाब की सरकारों की नीयत पर सवाल उठाए हैं। उन्‍हाेंने कहा कि दोनों सरकारों की नीयत में खोट है और वे इस मुद्दे पर वोट की राजनीति कर रही हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 14 Apr 2016 08:13 PM (IST)Updated: Fri, 15 Apr 2016 10:27 AM (IST)
बीरेंद्र सिंह ने कहा, एसवाईएल पर पंजाब व हरियाणा की सरकारों की नीयत में खोट

जागरण संवाददाता, कैथल। केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने एसवाईएल मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा सरकारों की नीयत पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर राजनीति को अलग रखकर इस मुद्दे पर बातचीत की जाए तो यह तीन दिन में भी निपट सकता है। ऐसा रास्ता निकलना कोई मुश्किल बात नहीं है कि पंजाब का हित भी रहे और हरियाणा को भी लाभ मिल जाए।

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नीयत ठीक हो तो तीन दिन में निपट जाए एसवाईएल विवाद

बृहस्पतिवार को पत्रकारों से रू-ब-रू बीरेंद्र सिंह ने कहा कि एसवाईएल को लेकर पूरी तरह से वोटों की राजनीति हो रही है। इस मुद्दे पर नेताओं के अपने-अपने स्वार्थ निहित हैं। पानी को लेकर उनकी नीयत ठीक नहीं है। इस मुद्दे को वोटों की राजनीति से दूर रखना होगा। राजनेताओं को चाहिए कि वे ठीक नीयत से बैठकर बात करें।

ईमानदार और खपती में फर्क

आइएएस अधिकारी अशोक खेमका और प्रदीप कासनी की नियुक्तियों पर एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने दोनों अफसरों का नाम लिए बिना कहा कि जितनी उनकी उम्र है, उतनी उनकी राजनीति हो चुकी है। ईमानदार होने और खपती होने में बड़ा फर्क है। वे खपती हैं। जो खपती हैं उनका कोई इलाज नहीं हो सकता।

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किसानों की आत्महत्या दुर्भाग्यपूर्ण

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आजादी के 69 साल बाद भी किसानों का आत्महत्या करना दुर्भाग्यपूर्ण है। जिन क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं ज्यादा हैं, वहां तीन साल से मानसून की मेहरबानी नहीं हुई। किसान कर्ज के चक्कर और अन्य पारिवारिक कारणों से भी आत्महत्या करते हैं।

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उन्होंने कहा कि सूखा प्रभावित 13 राज्यों के लिए पेयजल को 830 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं। इससे पेयजल समस्या पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा। हरियाणा, बिहार और गुजरात ने हालांकि खुद को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया है, फिर भी इन्हें राहत पैकेज में शामिल किया गया है। हरियाणा को 40 करोड़ रुपये दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिन दस राज्यों में सूखे की स्थिति ज्यादा भयावह है, उन्होंने केंद्र द्वारा भेजे गए 1723 करोड़ रुपये इस्तेमाल ही नहीं किए गए हैं।

गरीबों के लिए बनेंगे एक करोड़ मकान

उन्होंने कहा कि अब गरीब परिवारों को मकान के लिए अनुदान प्राप्त करने का आधार बीपीएल परिवार न होकर सामाजिक, आर्थिक, जातीय जनगणना सर्वेक्षण होगा। अगले तीन वर्षों में केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के एक करोड़ परिवारों के लिए मकान बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इंदिरा आवास योजना के तहत मिलने वाले 70 हजार रुपये के अनुदान को बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये कर दिया गया है। यदि पात्र परिवार ऋण का इच्छुक होगा तो उसे बैंकों से 75 हजार रुपये भी आसान शर्तों पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
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ग्राम सभाओं में बनेंगी विकास योजनाएं

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि अब गांव के विकास की योजनाएं दिल्ली में न बनाकर ग्राम सभाओं में बनाई जाएंगी। डॉ. भीम राव अंबेडकर के सपनों को साकार करने के लिए ही ग्राम उत्थान का यह अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमशेदपुर में राष्ट्रीय पंचायत दिवस मनाएंगे। इस दिन दो लाख 58 हजार ग्राम सभाओं की बैठक होगी जिसमें गांव के विकास की रूपरेखा तैयार की जाएगी व वार्षिक बजट भी तय किया जाएगा। ग्रामीण विकास के लिए दो लाख 272 करोड़ रुपये सीधे ग्राम पंचायतों को दिया जाएंगे।

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मनरेगा में साढ़े 38 हजार करोड़ का बजट

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 38 हजार 500 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। सूखा प्रभावित 13 राज्यों में मजदूरों को 100 दिन की बजाय 150 दिन का रोजगार दिया जाएगा। प्रधानमंत्री की सोच है कि ग्रामीणों की आमदनी को दोगुणा कर दिया जाए जिससे जीडीपी में 3.5 प्रतिशत का इजाफा होगा।


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