सुदामा चरित्र प्रसंग के साथ समाप्त हुई कथा
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष्य में गांव गोबिंदपुरी में आयोजित श्रीमद्भागवत क
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष्य में गांव गोबिंदपुरी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का समापन पर सुदामा चरित्र के अतिरिक्त भगवान की अन्य लीलाओं के साथ हुआ। सुदामा चरित्र की जानकारी देते हुए बताया गया कि किस प्रकार सुदामा भगवान श्री कृष्ण के पास द्वारिका जी पहुंचे। सुदामा चरित्र सुनाते हुए कथा व्यास वृंदावन से आए इन्द्रेश जी महाराज ने बताया कि सुदामा कोई मामूली हस्ती नहीं थे। वे तो ब्रह्मज्ञानी थे। कुछ लोगों ने व्यवसायिक कारणों से इस प्रकार के भजन बनाए कि सुदामा जी की छवि को ही धूमिल करके रख दिया, जबकि इन लोगों को सुदामा जी के बारे में कुछ भी ज्ञान नही है। स्वामी इन्द्रेश जी महाराज ने कहा कि जो सुदामा भगवान श्री कृष्ण के साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करता हो और भगवान का सबसे प्रिय मित्र हो क्या वो कभी दरिद्र हो सकता है। उनका कहना था कि सुदामा गरीब जरूर था लेकिन दरिद्र नहीं। उन्होंने ने तो एक शाप से भगवान श्री कृष्ण को बचाने के लिए दरिद्रता अपने ऊपर ले ली थी। वे नही चाहते थे कि गुरु माता के दिए हुए चने भगवान श्री कृष्ण खाए और वह भी दरिद्र हो जाएं। कथा से पूर्व वृंदावन से आए पंडित अनुज शास्त्री द्वारा गौरी गणेश पूजन स पन्न करवाया गया। इससे पूर्व कथा के आयोजक इलेवन स्टार मोर्निग क्लब के सदस्य सुरेश कुमार, अमृत पाल त्यागी, हरि प्रकाश, भीम सेन, श्रवण, ¨रकू, मुकेश त्यागी, वन अधिकारी सतपाल कौर, सुधा, नीलम, प्रियंका, रीता, ¨रपी, गीता, इंदु, रेखा, सरोज, प्रभा, सलोनी, प्रीति, संगीता, संध्या, अनु, सुमन, नीरज व अनिल आदि ने कथा व्यास को माल्यार्पण व भागवत भगवान की आरती करते कथा का शुभारंभ किया।