डेढ़ साल की आयु में डाक्टर ने लगा दिया था गलत इंजेक्शन, रुक गई थी एक टांग की ग्रोथ
टोक्यो पैरालिपिक में आर्चरी के रिकर्व इवेंट में गांव अजीतनगर कस्बा गुहला जिला कैथल निवासी हरविद्र सिंह का चयन हो चुका है। 23 अगस्त से पांच सितंबर तक टोक्यो में मैच होने हैं। हरविद्र पैरा आर्चरी के रिकर्व इवेंट में खेलने वाले हरियाणा के एकमात्र खिलाड़ी हैं। हरविद्र ने एक किसान परिवार से संबंध रखते हैं। पिता परमजीत सिंह खेती बाड़ी से ही घर का गुजारा करते हैं। उन्होंने बताया कि जब वह डेढ़ साल के थे तो उन्हें बुखार हो गया था।
सुनील जांगड़ा, कैथल : टोक्यो पैरालिपिक में आर्चरी के रिकर्व इवेंट में गांव अजीतनगर कस्बा गुहला जिला कैथल निवासी हरविद्र सिंह का चयन हो चुका है। 23 अगस्त से पांच सितंबर तक टोक्यो में मैच होने हैं। हरविद्र पैरा आर्चरी के रिकर्व इवेंट में खेलने वाले हरियाणा के एकमात्र खिलाड़ी हैं। हरविद्र ने एक किसान परिवार से संबंध रखते हैं। पिता परमजीत सिंह खेती बाड़ी से ही घर का गुजारा करते हैं। उन्होंने बताया कि जब वह डेढ़ साल के थे तो उन्हें बुखार हो गया था। इलाज के दौरान डाक्टर ने एक गलत इंजेक्शन लगा दिया था। उसके बाद उनकी एक टांग की ग्रोथ रुक गई थी। टांग को ठीक करने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाए और दवाइयां खाईं, लेकिन ठीक नहीं हुई। उन्होंने वर्ष 2010 में बीए करने के लिए पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में दाखिला लिया। वहां पर कभी-कभी तीरंदाजी देखने के लिए मैदान पर चले जाते थे। साल 2012 के लंदन ओलिपिक में तीरंदाजी का मैच टीवी पर देखा और वहीं से तीरंदाजी करने की प्रेरणा मिली। कुछ दिन बाद मैदान पर जाकर कोच से तीरंदाजी का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया।
ओलिपिक में देश के लिए मेडल लाना लक्ष्य
हरविद्र सिंह ने बताया कि लगातार चार साल अभ्यास करने के बाद भी उसका चयन भारतीय टीम में नहीं हुआ था। चयन ना होने से दुखी होकर उन्होंने खेल छोड़ने का मन बना लिया था। उसके बाद उन्हें कोच जीवनजोत ने तीरंदाजी नहीं छोड़ने की सलाह दी। कोच की प्रेरणा से नए तरीके से खेल की शुरुआत की और पहले ही साल में नेशनल प्रतियोगिता में मेडल हासिल किया। अब ओलिपिक के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र सोनीपत में अभ्यास किया। 23 अगस्त को वे टोक्यो पहुंच जाएंगे और तीन सितंबर को उनका मैच होगा। उन्हें पूरी उम्मीद है कि ओलिपिक में देश के लिए मेडल लेकर आएंगे।
पैरा आर्चरी में भारत को दिलवाया था पहला गोल्ड
हरविद्र सिंह ने बताया कि साल 2012 में तीरंदाजी की शुरुआत करने के बाद से अब तक सात बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि साल 2018 में इंडोनेशिया में हुई तीसरी एशियन पैरा आर्चरी रिकर्व इवेंट प्रतियोगिता में गोल्ड जीतने की है। यह उपलब्धि इसलिए बड़ी थी, क्योंकि पैरा आर्चरी रिकर्व इवेंट में भारत को पहली बार गोल्ड मेडल मिला था। रोहतक में साल 2016 में हुई पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल, बीजिग में साल 2017 में हुई विश्व पैरा आर्चरी में सातवां स्थान, तेलंगाना में साल 2017 में दूसरी पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल और एशियन पैरा चैंपियनशिप साल 2019 में कांस्य पदक हासिल किया था। जून 2019 में नीदरलैंड में आयोजित विश्व पैरा आर्चरी चैंपियनशिप में पैरालिपिक साल 2020 के लिए कोटा हासिल किया था। थाईलैंड में साल 2019 में हुई तीसरी एशियन पैरा आर्चरी के टीम इवेंट में ब्रांज मेडल और रोहतक में 2019 में हुई तीसरी पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता सिल्वर मेडल हासिल किया था।