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गुहला के चुनावी दंगल में मुकाबला रोचक

जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में से गुहला विधानसभा आरक्षित सीट है। वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव में यहां से पहली बार ईश्वर सिंह ने जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत दर्ज की थी। यहां अब तक हुए चुनाव में सबसे ज्यादा बार इनेलो तो फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 09:40 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 09:40 AM (IST)
गुहला के चुनावी दंगल में मुकाबला रोचक
गुहला के चुनावी दंगल में मुकाबला रोचक

सुरेंद्र सैनी, कैथल :

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जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में से गुहला विधानसभा आरक्षित सीट है। वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव में यहां से पहली बार ईश्वर सिंह ने जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत दर्ज की थी। यहां अब तक हुए चुनाव में सबसे ज्यादा बार इनेलो तो फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से कमल खिलाया।

इस बार विधानसभा चुनाव में मौजूदा विधायक कुलवंत बाजीगर का टिकट काटकर जिला परिषद सदस्य रवि तारांवाली को मैदान में उतारा हैं, वहीं कांग्रेस ने अब तक इस क्षेत्र से आठ चुनाव लड़ चुके पूर्व सीपीएस दिल्लूराम बाजीगर पर ही इस बार भी भरोसा जताया है। जजपा की टिकट पर इस क्षेत्र से पूर्व विधायक रहे ईश्वर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।

ईश्वर सिंह कांग्रेस की टिकट पर पहले दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी की टिकटों की घोषणा से पहले ही पार्टी छोड़कर जजपा ज्वाइन करते हुए टिकट लेने में सफल रहे। इस क्षेत्र के इतिहास में आज तक यहां से कोई भी निर्दलीय विधायक नहीं बना है। यहां के मतदाताओं ने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़े मतदाताओं को ही तव्वजो दी है। हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर चुनावी दंगल में निर्दलीय उतरे देवेंद्र हंस के मैदान में आने से पार्टी प्रत्याशियों के समीकरण बिगड़ गए हैं। हंस इस क्षेत्र के सबसे बड़े गांव सीवन से संबंध रखते हैं। चार माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र से 36 हजार की बढ़ती बनाई थी, इसका फायदा पार्टी प्रत्याशी को मिल सकता है।

गुहला में 1 लाख 79 हजार 819 मतदाता

21 अक्टूबर को होने वाले मतदान में गुहला विधानसभा क्षेत्र से 1 लाख 79 हजार 819 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। इनमें 95 हजार 24 पुरुष तो 84 हजार 791 महिला मतदाता हैं। 196 बूथ मतदान के लिए बनाए गए हैं। 64 के करीब गांव इस हलके में हैं। इस हलके का मतगणना केंद्र इस बार गुहला के डीएवी कॉलेज में बनाया गया है। इससे पहले आरकेएसडी कॉलेज को ही बनाया जाता था। इस बार नामांकन कार्यालय भी गुहला में ही बनाया गया था। इस बार 12 प्रत्याशी इस सीट पर चुनावी मैदान में है। अब तक कुल 12 विस चुनाव हुए हैं। पिछले चुनाव में भाजपा की टिकट पर लड़े कुलवंत सिंह बाजीगर ने कांग्रेस के दिल्लू राम बाजीगर को कड़े मुकाबले में हराते हुए जीत दर्ज की थी। तीसरे नंबर पर इनेलो के बूटा सिंह रहे थे।

जिले की चारों सीटों में से भाजपा ने गुहला सीट पर ही जीती थी, अन्य तीन सीट पर हार का सामना करना पड़ा था, जबकि इस क्षेत्र से पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 20 हजार से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से 36 हजार वोटों की लीड बनाई, जोकि एक रिकार्ड है। वहीं सबसे ज्यादा नुकसान इस क्षेत्र में इनेलो को हुआ है, जबकि इनेलो का ही इस क्षेत्र को गढ़ माना जाता रहा है।

पिछले चुनाव में सीट पर हुआ था त्रिकोणीय मुकाबला

2014 के विधानसभा चुनाव में भी 12 प्रत्याशी ही मैदान में थे। इनमें से भाजपा, कांग्रेस व इनेलो प्रत्याशियों के बीच मुख्य मुकाबला था, हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी ने भी कड़ी टक्कर दी थी। इस बार भी क्षेत्र के राजनीतिक हालात को देखते हुए ऐसा ही मुकाबला देखने को मिल रहा है। पिछले चुनाव में 1 लाख 32 हजार 105 वोट पोल हुए थे। इसमें कुलवंत बाजीगर को 36 हजार 598 वोट मिले थे। वोट प्रतिशत 27.70 प्रतिशत रहा था। दूसरे नंबर कांग्रेस के दिल्लू राम बाजीगर थे। उन्हें 34 हजार 158 वोट मिले थे। वोट प्रतिशत 25.86 रहा था। तीसरे नंबर पर इनेलो के प्रत्याशी बूटा सिंह थे। उन्हें 32 हजार 334 वोट मिले थे। प्रतिशत 24.48 प्रतिशत था। चौथे स्थान पर निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए रेखा रानी ने 19 हजार 946 वोट लिए थे। वोट 15.10 प्रतिशत रहा था।

इस सीट पर कौन कब रहा विधायक

गुहला में पहली बार हुए वर्ष 1977 में चुनावों में ईश्वर सिंह जनता पार्टी जो चौ. देवीलाल की थी, वर्ष 1982 में लोकदल से दिल्लू राम, 1987 से लोकदल से बूटा सिंह, वर्ष 2000 में इनेलो से स्व. अमर सिंह ढांडे, वर्ष 2009 में भी फूल सिंह खेड़ी इनेलो की टिकट पर विधायक बने थे। 2014 में यहां से भाजपा के कुलवंत बाजीगर ने जीत दर्ज की। इस क्षेत्र से विधायक बने नेताओं में से दिल्लू राम बाजीगर एक बार सीपीएस रहे हैं, लेकिन इसके अलावा किसी भी नेता को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इस क्षेत्र से आज तक कोई भी महिला नेत्री विधायक नहीं बनी है। हर चुनाव में महिला प्रत्याशी मैदान में तो उतरी हैं, लेकिन विधानसभा में पहुंचने का मौका किसी को नहीं मिला है। इस बार भी इस क्षेत्र से दो महिलाएं चुनाव मैदान में हैं।


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