छह माह बाद खुले सभी स्कूल, इक्का-दुक्का विद्यार्थी ही पहुंचे
सरकार के आदेशों के तहत सोमवार से छह माह बाद सभी स्कूल विद्यार्थियों के लिए खुले लेकिन बहुत कम संख्या में विद्यार्थी पहुंचे। बता दें कि स्कूल करीब दो माह पहले ही स्टाफ सदस्यों के लिए खुल चुके हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल : सरकार के आदेशों के तहत सोमवार से छह माह बाद सभी स्कूल विद्यार्थियों के लिए खुले, लेकिन बहुत कम संख्या में विद्यार्थी पहुंचे। बता दें कि स्कूल करीब दो माह पहले ही स्टाफ सदस्यों के लिए खुल चुके हैं।
सोमवार से नए आदेशों के तहत इक्का-दुक्का विद्यार्थी ही स्कूल में पहुंचे। इस दौरान विद्यार्थी अपने अध्यापक से मिलने के लिए पहुंच सकते हैं। कोरोना के टेस्ट के लिए निर्धारित की गई फीस के कारण अधिकतर स्कूलों में अध्यापक बिना कोविड-19 के टेस्ट के ही स्कूल में पहुंचे।
दैनिक जागरण की टीम ने शहर में स्थित कई स्कूलों का दौरा किया। इस दौरान कई स्कूलों में अव्यवस्थाएं भी मिली, जहां सैनिटाइजर और तापमान जांचने की मशीन का कोई प्रबंध नहीं किया गया था। बिना सुरक्षा के अध्यापकों का पहुंचना बड़ी लापरवाही है। इस पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी कोई गौर नहीं की।
दैनिक जागरण की टीम सबसे पहले कमेटी चौक स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में पहुंचे। यहां पर मुख्य गेट पर एंट्री पर ही दो अध्यापक और स्कूल का एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई। कर्मचारी स्कूल में पहुंचने वाले विद्यार्थी और अभिभावक का तापमान जांच कर रहा था तो वहीं अध्यापक रजिस्टर में एंट्री कर रहे थे। जो भी विद्यार्थी या अभिभावक स्कूल में पहुंचता तो उसका नाम, पता और मोबाइल नंबर लिखा जा रहा था। यहां किसी भी स्टाफ सदस्य ने कोविड-19 का टेस्ट नहीं करवाया। स्कूल में पूरे दिन में महज 10 विद्यार्थी पहुंचे।
कन्या स्कूल में नहीं छात्राओं को नहीं दी एंट्री
इसके बाद गीता भवन के समीप स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में पहुंचे थे यहां पर न तो तापमान जांचने वाली मशीन थी और न ही सैनिटाइजर मुख्य गेट पर रखा गया था। हालांकि प्रिसिपल के कक्ष के बाहर तो सैनिटाइजर रखा गया था, लेकिन यहां विद्यार्थियों को एंट्री नहीं दी जा रही थी। यहां पर कुल 55 स्टाफ सदस्यों में से केवल 12 सदस्यों की कोरोना की जांच करवाई गई। पूरे दिन में केवल 15 विद्यार्थी ही यहां परामर्श लेने के लिए पहुंचे थे।
इसके बाद राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल पट्टी अफगान में पहुंचे तो यहां पर मुख्य गेट पर ही दो अध्यापकों की ड्यटी लगाई गई थी, जो स्कूल में पहुंचने वाले हर विद्यार्थी और अभिभावक की जांच कर रहे थे। यहां भी स्टाफ सदस्यों की ओर से कोरोना का टेस्ट नहीं करवाया गया।
बॉक्स
शेरगढ़ में नहीं हुआ कोरोना टेस्ट
गांव शेरगढ़ के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में पहुंचे। यहां पर भी मुख्य गेट पर तापमान जांच करने और रजिस्टर में एंट्री करने के लिए दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। यहां पर भी स्टाफ के किसी भी सदस्य का कोरोना टेस्ट नहीं करवाया गया। प्रिसिपल जगदीप ढुल ने बताया कि कोरोना की जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी गई है। मंगलवार को सभी अध्यापकों व अन्य स्टाफ सदस्यों का कोरोना का टेस्ट करवा दिया जाएगा।
वर्जन :
किए गए सभी प्रबंध : जिला शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने बताया कि ऐसा नहीं है कि स्कूलों में अध्यापकों ने अपना कोविड-19 का टेस्ट नहीं करवाया है। करीब एक हजार अध्यापकों ने टेस्ट करवा लिया है। जिसमें से दो से तीन अध्यापकों को छोड़कर अन्य सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। सोमवार को स्कूल खुले तो सैनिटाइजर का प्रबंध और सभी ने सरकार की हिदायतों का पालन किया है। विभाग महामारी को लेकर काफी सतर्क है। सभी को जल्द ही टेस्ट करवाने के आदेश जारी किए हैं।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक
विद्यालय में पहुंचे 40 विद्यार्थी
सीवन : सरकार ने सोमवार से स्कूलों को नौवीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए खोल दिया है। सोमवार को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में छह माह के बाद बच्चे पहुंचे। स्कूल में पहुंचने पर विभागीय नियमों के अनुसार अध्यापक छात्र सलाह एवं कार्य निष्पादन संपन्न किया। स्कूल में 40 विद्यार्थियों को दाखिला दिया गया। मुख्य द्वार पर ही बच्चों के हाथ, पुस्तकें, कापियां सभी सैनिटाइज करवाई गई। जो बच्चे स्कूल में बिना मास्क के पहुंचे थे उन्हें मास्क वितरित किए गए। थर्मल स्कैनर के द्वारा बच्चों का तापमान की जांच की गई। खंड शिक्षा अधिकारी व स्कूल के प्रिसिपल सुदर्शन शर्मा ने सभी बच्चों को इस महामारी से बचाव रखते हुए शिक्षा को जारी रखने की हिदायत भी दी। इस मौके पर स्कूल स्टाफ का भी शारीरिक तापमान थर्मल स्कैनर से जांचा गया।