सुणके गुरुनानक दी वाणी हो गए पत्थर दिल भी पाणी
महाकवि संतोख सिंह साहित्य सभा की ओर से गुरू नानक देव जी के 550 साला शताब्दी को समर्पित तथा भाई संतोख सिंह की याद में शानदार कवि दरबार आयोजित किया गया जिसमें हरियाणा व पंजाब के कवियों ने गुरू नानक देव जी के जीवन फलसफे व जीवन की विचारधारा के आधारित कविताएं पेश की।
जागरण संवाददाता, कैथल :
महाकवि संतोख सिंह साहित्य सभा की ओर से गुरू नानक देव जी के 550 साला शताब्दी को समर्पित तथा भाई संतोख सिंह की याद में शानदार कवि दरबार आयोजित किया गया, जिसमें हरियाणा व पंजाब के कवियों ने गुरू नानक देव जी के जीवन फलसफे व जीवन की विचारधारा के आधारित कविताएं पेश की। भाई संतोख सिंह जी जो कि कैथल के अंतिम शासक भाई उदय सिंह के दरबारी कवि थे। महाकवि संतोख सिंह साहित्य सभा कैथल की ओर से हर वर्ष 22 सितम्बर को कवि दरबार आयोजित करके भाई संतोख सिंह को याद किया जाता है। इस बार यह समारोह गुरुद्वारा सिंह सभा करनाल रोड कैथल में आयोजित किया गया। समारोह में सबसे पहले भाई साध सिंह हजूरी रागी जत्था एतिहासिक गुरुद्वारा बैहर साहिब ने रशभिना कीर्तन करके संगत को निहाल किया। कवि दरबार की अरभता गुलजार सिंह भोला खरकां ने बलविद्र संधा का गीत'सुणके गुरु नानक दी वाणी, हो गये पत्थर दिल भी पाणी'सुनाकर संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। मोरिडा से आए पंथक कवि बलबीर सिंह बल ने कहा कि 'गुरु-गुरु ता सब कोई कै हंदा, गुरू दा हौके हरना सिखो'इस कविता को गाकर समां बांध दिया। मास्टर जयदेव सिंह थिद ने भाई संतोख सिंह जी को याद करते हुए कहा कि'जिस दी कलम दी घर-घर होई चर्चा, उसदा दिन मनोण नूं जी करदां'बहुत अच्छी लगी। अम्बाला से आए गुरूचरण योगी की पेशकारी इस तरह रही'मर्दाना बाबे नाल सी, बचपन दा हाणी, इक ने साज वजाया, दूजे ने उचरी वाणी'। इस मौके पर महाक वि संतोख सिंह साहित्य सभा कैथल व अमराव सिंह सीना चेयरमैन बाबा बंदा सिंह बहादुर इंटरनेशनल फाउंडेशन हरियाणा के सहयोग से आए हुए कवियों, समाजसेवी डॉ. मोहिद्र सिंह शाह सहित अन्य ने सहयोगी किया।
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