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दो जिलों में भाजपा विधायकों से टकराव के चलते दूसरी बार सस्पेंड हुए जयभगवान

एक अफसर सिविल सर्जन डा.जयभगवान .. दो जिले जींद और कैथल.. दोनों जगह भाजपा के विधायकों से सीधा टकराव और भ्रष्टाचार का आरोप.. नतीजा सस्पेंशन। कैथल के सिविल सर्जन को विधायक लीला राम की शिकायत पर स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज के आदेश पर अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने सस्पेंड कर दिया है। विधायक का आरोप है कि जाटान ने पैसे लेकर आउटसोर्सिंग के तहत भर्तियां की। भर्ती किए गए कर्मचारियों की सूची बार-बार मांगने पर भी नहीं दी। कहते रहे कि सूची उनके पास नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 06:46 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 06:46 AM (IST)
दो जिलों में भाजपा विधायकों से टकराव के  चलते दूसरी बार सस्पेंड हुए  जयभगवान
दो जिलों में भाजपा विधायकों से टकराव के चलते दूसरी बार सस्पेंड हुए जयभगवान

पंकज आत्रेय, कैथल: एक अफसर सिविल सर्जन डा.जयभगवान .. दो जिले जींद और कैथल.. दोनों जगह भाजपा के विधायकों से सीधा टकराव और भ्रष्टाचार का आरोप.. नतीजा सस्पेंशन। कैथल के सिविल सर्जन को विधायक लीला राम की शिकायत पर स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज के आदेश पर अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने सस्पेंड कर दिया है। विधायक का आरोप है कि जाटान ने पैसे लेकर आउटसोर्सिंग के तहत भर्तियां की।

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भर्ती किए गए कर्मचारियों की सूची बार-बार मांगने पर भी नहीं दी। कहते रहे कि सूची उनके पास नहीं है। फोन पर बात करते हैं तो लगता है कि नशे में हैं। इतना ही नहीं, अपने अधीनस्थ अधिकारियों को भी कह रखा है कि अगर कैथल के विधायक लीला राम और पूंडरी के विधायक रणधीर गोलन के फोन आएं तो उठाने नहीं है। बता दें कि डा.जयभगवान जाटान की बतौर सिविल सर्जन यह दूसरी पोस्टिग है।

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पहली पोस्टिग में ही सस्पेंड हुए थे

डिप्टी सिविल सर्जन से पदोन्नत होकर डा.जयभगवान को जींद का सिविल सर्जन लगाया गया था। वहां विधायक कृष्ण मिढ़ा से उनकी तनातनी रही। जींद में उन पर एएमओ भर्ती में घोटाले के आरोप लगे थे। इसके चलते चार जून 2020 को उन्हें पहली ही पोस्टिग में सस्पेंड कर दिया गया था। गौर करने की बात है कि महज 12 दिन में वे बहाल हो गए और बहाल होते ही उन्हें कैथल का सिविल सर्जन लगा दिया गया था। यहां छह महीने तीन दिन बाद फिर जींद वाले अंदाज में ही सस्पेंड हो गए। दोनों बार इनकी सस्पेंशन के ऑर्डर जारी करने वाले एसीएस राजीव अरोड़ा ही हैं।

विधायक की चिट्ठी बनेगी नसीहत

विधायक लीला राम की ओर से स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को लिखी गई चिट्ठी दूसरे अधिकारियों के लिए भी नसीहत का काम करेगी। सत्ता पक्ष के विधायक होने के चलते अफसरशाही को नियंत्रण में नहीं रख पाने के विपक्ष के हमले की धार भी इससे कुंद होगी। बता दें कि दो हफ्ते पहले प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने लघु सचिवालय में अधिकारियों की बैठक लेकर चेतावनी दी थी कि वे विधायकों और मंत्रियों के फोन अच्छे से सुनें। उनके कहे कामों को प्राथमिकता के आधार पर करें, क्योंकि वे जनप्रतिनिधि होने के चलते जनता के काम के लिए ही फोन करते हैं।

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एसएमओ ने खोला मोर्चा

24 सितंबर को सिविल सर्जन कार्यालय में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें कौल के एसएमओ डा.अजय शेर नहीं पहुंच सके। इस पर सिविल सर्जन डा.जाटान ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा।अपने जवाब में डा.अजय शेर ने 11 बिदुओं का स्पष्टीकरण भेजा, जिसमें सिविल सर्जन पर कई संगीन आरोप भी शामिल थे। डा.शेर ने बिदु छह में लिखा कि 25 सितंबर को जो कर्मचारी सिविल सर्जन कार्यालय से भेजा गया, वह मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार कर रहा था। कह रहा था कि वह जयभगवान से पांच करोड़ रुपये का बजट दिलवा देगा। इसमें से एक करोड़ रुपये उसके माध्यम से जयभगवान को रिश्वत देनी होगी। इस स्पष्टीकरण की प्रति डा.शेर ने 28 सितंबर को मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव, विभाग के महानिदेशक, विधायक लीला राम और रणधीर गोलन को भी भेजी थी।

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विधायक के राडार पर एक और अधिकारी

सिविल सर्जन के बाद अब एक और अधिकारी विधायक लीला राम के राडार पर है। किसानों की लगातार मिल रही शिकायतों पर विधायक ने इस अधिकारी को फोन पर कई बार समाधान के लिए कहा है, लेकिन किसानों की समस्याएं निरंतर बढ़ रही हैं। इसके चलते विधायक इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को शिकायत कर चुके हैं।

नियमों को ताक पर रखकर की भर्ती

जिला सिविल अस्पताल में कार्यरत एक चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सिविल सर्जन ने यहां रहते हुए अपने पद का गलत प्रयोग किया। कलायत और गुहला में आउटसोर्सिंग के लिए जो भर्ती की गई है, उसमें पूरी तरह से अनियमितता बरती गई है। इसी प्रकार पुराना अस्पताल में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की पत्नी को एनएचएम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लगा दिया गया, जबकि कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया। इसी प्रकार जिला सिविल अस्पताल में एलटी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सहित अन्य पदों पर नियुक्ति की गई। आरोप है कि एक से डेढ़ लाख रुपये लेकर भर्ती की गई है। इस भर्ती प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए। इसमें जो भी दोषी हो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। कलायत सिविल अस्पताल में आउटसोर्सिंग भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए हटाए गए कर्मचारियों पिछले करीब एक सप्ताह से धरने पर बैठे हुए हैं।

भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जीरो टालरेंस नीति को अधिकारियों को समझना होगा। सिविल सर्जन की कारगुजारियों की स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से शिकायत की गई थी, जिसके चलते उन्हें सस्पेंड किया गया है।

लीला राम, विधायक कैथल।

आरोप पूरी तरह से निराधार

निलंबन के सवाल पर कैथल के सिविल सर्जन डा.जयभगवान ने कहा, विधायक मुझ पर पीएनडीटी के तहत रेड बंद करने का दबाव बना रहे थे। हम नियमों के अनुसार ही अपने कर्तव्य का निवर्हन करते हुए काम कर रहे थे। आउटसोर्सिंग भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार जैसी कोई बात नहीं है। यह आरोप पूरी तरह से निराधार है।


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