350 सफाई कर्मचारियों की फौज भी नहीं सुधार पाई रैं¨कग
स्वच्छता रैं¨कग में जिले को प्रदेश में 17वां व देश में 304 वां स्थान मिला है। सफाई के लिहाज से शहर में गंदगी और भी ज्यादा फैली है। शहर में सफाई के लिए करीब 350 कर्मचारी हैं।
जागरण संवाददाता, कैथल : स्वच्छता रैं¨कग में जिले को प्रदेश में 17वां व देश में 304 वां स्थान मिला है। सफाई के लिहाज से शहर में गंदगी और भी ज्यादा फैली है। शहर में सफाई के लिए करीब 350 कर्मचारी हैं। हर बार करोड़ों रुपये के टेंडर लगाए जाते हैं। उसके बावजूद जिले की रैं¨कग में सुधार नहीं हो पाया। पहले देश में 282वां स्थान मिला था, लेकिन इस बार रैंक बढ़कर 304 हो गया। डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए 15 छोटे हाथी, दो ट्रैक्टर एक जेसीबी व एक बड़ा डंपर नगर परिषद के पास है। 110 सफाई कर्मचारियों को कचरा उठाने के लिए ठेके पर रखा जाता है। शहर में सफाई व्यवस्था ठीक नहीं रही, जिस कारण लोगों ने ठीक से फीडबैक नहीं दिया। इस बार रैं¨कग देने के लिए अलग-अलग विषय के नंबर तय किए गए थे। सफाई कर्मचारियों की फौज और साधन संपन्न होने के बाद भी जिले की रैं¨कग में कोई सुधार नहीं हुआ। शहर की सड़कों पर गंदगी के ढेर हमेशा लगे रहते हैं, लेकिन नगर परिषद प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता। साल का 10 करोड़ का बजट
नगर परिषद साल में करीब दस करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन व उपकरणों पर खर्च करती है। इतना खर्च करने के भी रैं¨कग में सुधार ना हो पाना अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है। हालांकि शहर की जनसंख्या को देखते हुए कर्मचारियों की संख्या कम है। कर्मचारी यूनियन कई बार भर्ती करने के लिए प्रदर्शन कर चुकी है, लेकिन उनकी मांग को भी पूरा नहीं किया जा रहा। वर्जन
प्रदेश में जिले को 17वां स्थान मिला है। समय-समय पर शहर में सफाई अभियान भी चलाए जाते हैं। लोगों को भी सफाई व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करना चाहिए, ताकि रैं¨कग को सुधारा जा सके।
- विक्रम ¨सह, ईओ नगर परिषद।