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जिला परिषद नहीं खर्च पाई 41.69 करोड़ रुपये, एस्टीमेट भी हो चुके थे तैयार

जागरण संवाददाता जींद विकास कार्यों के लिए प्रदेश सरकार ने 27 नवंबर को जिला परिषद को 41

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 05:53 AM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 05:53 AM (IST)
जिला परिषद नहीं खर्च पाई 41.69 करोड़ रुपये, एस्टीमेट भी हो चुके थे तैयार
जिला परिषद नहीं खर्च पाई 41.69 करोड़ रुपये, एस्टीमेट भी हो चुके थे तैयार

जागरण संवाददाता, जींद : विकास कार्यों के लिए प्रदेश सरकार ने 27 नवंबर को जिला परिषद को 41.69 करोड़ रुपये जारी किए थे। इन्हें खर्च करने के लिए दो फरवरी को जिला परिषद हाउस की मीटिग में प्रस्ताव पारित हो गया था। जिसके बाद पार्षदों से उनके वार्डों के कामों की लिस्ट मांगी जा चुकी थी। लेकिन 23 फरवरी को कार्यकाल पूरा हो रहा है और उससे पहले सरकार ने नए काम शुरू करने पर रोक लगाते हुए प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी कर दिए। इसके चलते अब जिला परिषद प्रधान 41.69 करोड़ रुपये की राशि से कोई काम नहीं करा पाएंगी। जिससे पार्षदों में सरकार के खिलाफ रोष है। इस राशि में से जिला परिषद प्रधान ने दो करोड़, उप प्रधान ने डेढ़ करोड़ और बाकी पार्षदों ने सवा-सवा करोड़ रुपये विकास कार्यों के लिए खर्च करने थे। जिसके लिए कामों की सूची तैयार हो चुकी थी। वहीं ब्लॉक समिति प्रधानों से 30-30 लाख रुपये के कामों की लिस्ट मांगी गई थी। सांसद और विधायकों से भी कामों की लिस्ट मांगी गई थी।

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क्लर्क का ट्रांसफर होने से हुई देरी

दो फरवरी को हाउस की मीटिग में प्रस्ताव पारित होने के बाद प्रधान ने सभी पार्षदों और ब्लॉक समिति प्रधानों से चार दिन में कामों के एस्टीमेट मांग लिए थे। इसी दौरान जिला परिषद के क्लर्क का ट्रांसफर हो गया। उसकी जगह दूसरा क्लर्क नहीं आया। क्लर्क ना होने के कारण कामों की लिस्ट बनाने में देरी हुई। जब तक मंजूरी लेटर जारी होते, तब तक नए काम शुरू करने पर रोक लग गई।

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आपसी खींचतान में बीता पूरा कार्यकाल

जिला परिषद में पूरे पांच साल खींचतान रही। साल 2016 में चुनाव के बाद पदमा सिगला प्रधान बनी थीं। उनकी पार्षदों के साथ खींचतान रही और साल 2019 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ गया। उसके बाद प्रवीन घणघस प्रधान बनीं। पिछले साल जून में पूर्व प्रधान पदमा सिगला और जेजेपी जिला प्रधान कृष्ण राठी की शिकायत के बाद विकास कार्यों पर रोक लग गई। जो दिसंबर में हटी। उसके बाद 7.38 करोड़ रुपये के काम कराए गए।

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उम्मीदों को लगा झटका

कार्यकाल के अंत में 41.69 करोड़ रुपये का बजट आने से पार्षदों को उम्मीद थी कि उनके वार्डों में काम होंगे। उन कामों की उपलब्धि के बूते कई पार्षद दोबारा चुनाव लड़ कर जीतने का ख्वाब पाले हुए थे। इसी हिसाब से कामों की लिस्ट भी तैयार की थी। लेकिन उनकी उम्मीदों को झटका लगा है। अपने कार्यकाल में ये राशि खर्च ना कर पाने पर सरकार के खिलाफ गुस्सा है।

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सरकार की नीयत ठीक नहीं है

वार्ड 11 से जिला पार्षद दिनेश डाहोला ने कहा कि सरकार नहीं चाहती थी कि इस राशि से मौजूदा प्रधान और पार्षद अपने वार्डों में विकास कार्य कराएं। इस विभाग के मंत्री और डिप्टी सीएम अपने तरीके से ये राशि खर्च करना चाहते हैं। इसलिए जान बूझकर पहले यहां से क्लर्क का ट्रांसफर किया गया, ताकि काम प्रभावित हो। उसके बाद लेटर जारी कर नए काम शुरू करने पर रोक लगा दी गई। ----------------

एस्टीमेट बनवा कर सेंक्शन लेटर जारी होने थे : प्रधान

जिला परिषद प्रधान प्रवीन घणघस ने बताया कि सभी पार्षदों और ब्लॉक समिति प्रधानों की तरफ से कामों की लिस्ट मिल चुकी है। एस्टीमेट बनवा कर मंजूरी पत्र सेंक्शन लेटर जारी करने बाकी थे। सभी पार्षदों के सवा-सवा करोड़ और ब्लॉक समिति प्रधानों के 30-30 लाख रुपये के कामों के एस्टीमेट बनवाए गए थे। लेकिन नए काम शुरू ना करने का सरकार की तरफ से पत्र आ गया है। जिसके चलते 41.69 करोड़ रुपये की राशि उनके कार्यकाल में खर्च नहीं हो पाएगी।


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