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अहोई माता की पूजा-अर्चना कर उतारी आरती

मां एक मां की ज्योति एक लेकिन मां के स्वरूप अनेक। उक्त वचन आचार्य पवन शर्मा ने माता वैष्णवी धाम में अहोई अष्टमी के दिन सोमवार को मातृभक्तों के समक्ष अपने वक्तव्य में कहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 07:13 AM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 07:13 AM (IST)
अहोई माता की पूजा-अर्चना कर उतारी आरती
अहोई माता की पूजा-अर्चना कर उतारी आरती

जागरण संवाददाता, जींद : मां एक, मां की ज्योति एक, लेकिन मां के स्वरूप अनेक। उक्त वचन आचार्य पवन शर्मा ने माता वैष्णवी धाम में अहोई अष्टमी के दिन सोमवार को मातृभक्तों के समक्ष अपने वक्तव्य में कहे। सजी-संवरी महिलाओं ने निर्मित मंडप में प्रतिष्ठित अहोई माता की परंपरागत तरीके से पूजा-अर्चना कर आरती उतारी और अहोई माता से अपनी संतान की दीर्घायु व उन्नति की कामना की। आचार्य ने कहा कि ये महाशक्ति ही विभिन्न रूपों में विविध लीलाएं कर रही है। ये ही नवदुर्गा है और ये ही दस महाविद्या है। ये ही अन्नपूर्णा, जगत्द्धात्री, कात्यायनी व ललितांबा है। गायत्री, भुवनेश्वरी, काली, तारा, बगला, षोडषी, धूमावती, मातंगी, कमला, पद्मावती, दुर्गा आदि इन्हीं के स्वरूप हैं। मां अनहोनी को होनी व होनी को अनहोनी कर सकने में पूर्ण समर्थ है।

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