सिघपुरा में ग्रामीणों ने नंदी महाराज को दी गाजेबाजे के साथ विदाई
सिघपुरा गांव के लोगों ने नंदीप्रेम व आपसी भाईचारे की एक अनूठी मिसाल पेश की है।
संवाद सूत्र, सफीदों : सिघपुरा गांव के लोगों ने नंदीप्रेम व आपसी भाईचारे की एक अनूठी मिसाल पेश की है। गांव सिघपुरा में पुराने समय से रहने वाले नंदी का देहांत हो गया। ग्रामीणों को जैसे ही नंदी के निधन की सूचना मिली तो ग्रामीण इकट्ठा होना शुरू हो गए। ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि नंदी महाराज को पूरे विधि-विधान व गाजेबाजे के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। गांव के लोग इस नंदी को नगर खेड़ा के रूप में देखते थे। गांव में लोगों का इस नंदी में अटूट आस्था और विश्वास था। पैदा होने से लेकर मृत्यु तक यह नंदी गांव में ही रहा और हर रोज घर-घर जाकर रोटी और चारा ग्रहण करता था। फैसले के अनुसार ग्रामीण ट्रैक्टर के पीछे बुग्गी जोड़कर उसमें नंदी को लेटाया और ट्रैक्टर-बुग्गी पर रंग-गुलाल डालकर गुब्बारे व फूलमालाएं बांधी गई। तकरीबन हर घर से नंदी को कफन दिया गया। उसके बाद पूरे गांव में गाजेबाजे के साथ रंग-गुलाल उड़ाते हुए नंदी महाराज की अंतिम विदाई यात्रा निकाली गई। विदाई यात्रा के पीछे भारी तादाद में ग्रामीण चल रहे थे। वहीं, महिलाएं भी गीत गाते हुए साथ चल रही थी। ग्रामीणों द्वारा अंतिम दर्शनों के बाद नंदी को गांव के गुरुद्वारा के पास लाकर वहां पर जमीन में पूरी विधि-विधान के साथ दफनाया गया। नंदी को दफनाने के वक्त ग्रामीणों की आंखें नम थी। इस मौके पर गांव के सरपंच सुभाष सैनी ने बताया कि यह नंदी महाराज पूरे गांव के लिए आस्था का केंद्र थे। ग्रामीणों के सहयोग से उनकी मूर्ति लगाकर विशाल समाधि बनाई जाएगी। वहीं, नंदी महाराज की याद में उनकी 17वीं पर भंडारा लगाने की चर्चाएं चल रही थी। सराहनीय पहल : गर्ग
ग्रामीणों द्वारा किए गए अनूठे कार्य की हरियाणा गोसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग ने खुले मन ने प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि नंदी महाराज कैलाश के द्वारपाल हैं, जो शिव का निवास है। वे शिव के वाहन भी हैं, जिन्हें बैल के रूप में शिव मंदिरों में प्रतिष्ठित किया जाता है। नंदी को शक्ति-संपन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना जाता है।