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नगूरां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किया लॉक, बाहरी लोगों के लगाने पर जताई आपति

नगूरां गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आऊटसोर्स पॉलिसी के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाहरी लोगों के लगाने से नाराज ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को केंद्र के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 08:02 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 08:02 AM (IST)
नगूरां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किया लॉक, बाहरी लोगों के लगाने पर जताई आपति
नगूरां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किया लॉक, बाहरी लोगों के लगाने पर जताई आपति

संवाद सहयोगी, अलेवा:

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नगूरां गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आऊटसोर्स पॉलिसी के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाहरी लोगों के लगाने से नाराज ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को केंद्र के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया। सूचना मिलते सिविल सर्जन जींद डा. मनजीत सिंह, डिप्टी सीएम पालेराम कटारिया, डा. प्रभु दयाल तथा अलेवा थाना प्रभारी संजय कुमार, नगूरां चौकी प्रभारी महेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को समझा बुझाकर करीब आधा घंटे से केंद्र के मुख्य गेट पर लगे ताले को खुलवा दिया। ग्रामीण रणधीर नंबरदार, कुलदीप खटकड़, डा. राम सिंह दलाल आदि लोगों ने सिविल सर्जन को बताया की गांव ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को करोड़ों रुपयों की जमीन मुफ्त में दी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने विधायकों तथा मंत्री के चेहते लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगूरां पर लगाकर पूरे गांव के साथ धोखा किया है। गांव का एक भी युवक नहीं लगाया गया है। यह सुनकर डा. विनोद भी अचंभित रह गए। ग्रामीणों ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को जल्द नए भवन में शिफ्ट किया जाए। डिलीवरी हट जैसी सुविधाएं देने के साथ स्टाफ की कमी को पूरा किया जाए।

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मांग पूरी नहीं होने पर दोबारा लगाएंगे ताला

ग्रामीणों ने सिविल सर्जन को सौंपे मांग पत्र में कहा कि स्वास्थ्य विभाग को 30 अगस्त तक का समय दिया जाता है। तब तक गांव के लोगों की मांगें पूरी नहीं हुई तो दोबारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को ताला लगाने का काम किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।

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राजनीतिक लोगों तक पहुंचाएं बात : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डा. मनजीत ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उक्त लोग ठेकेदार के माध्यम से लगाए हैं। विभाग तो ठेकेदार का कुछ लिखकर भी नहीं दे सकता, क्योंकि बाद में वही बात विभाग के लिए सिरदर्द बन जाती है। ठेकेदार को केवल मौखिक रूप से बोला जा सकता है। ग्रामीण अपनी आवाज को राजनीतिक लोगों के पास पहुंचाएं ताकि विभाग को मामले को लेकर कुछ सहूलियत मिल सके।


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