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रामराय के विक्रम ढुल ने यूपीएससी की आइईएस परीक्षा पास कर किया गांव का नाम रोशन

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा क्लास वन गजटेड ऑफिसर्स के लिए ली गई इंडियन इंजीनियरिग सर्विस (आइईएस) परीक्षा में रामराय गांव के विक्रम ढुल ने देशभर में

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 06:50 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 06:50 AM (IST)
रामराय के विक्रम ढुल ने यूपीएससी की आइईएस परीक्षा पास कर किया गांव का नाम रोशन
रामराय के विक्रम ढुल ने यूपीएससी की आइईएस परीक्षा पास कर किया गांव का नाम रोशन

जागरण संवाददाता, जींद : संघ लोक सेवा आयोग द्वारा क्लास वन गजटेड ऑफिसर्स के लिए ली गई इंडियन इंजीनियरिग सर्विस (आइईएस) परीक्षा में रामराय गांव के विक्रम ढुल ने देशभर में 88वां रैंक हासिल किया। विक्रम ढुल के पिता सुरेंद्र ढुल ने बताया कि विक्रम ने आइआइटी दिल्ली से बीटेक में टॉप किया। उसके बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की। इस दौरान इंजीनियरिग एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया व टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में चयन हुआ। लेकिन टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में ज्वाइन नहीं किया। उनका अगला उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी करके प्रशासन में सुधार करना है। विक्रम ढुल ने बताया कि आइईएस एग्जाम तीन स्तर पर आयोजित किया जाता है। विक्रम ने पहली स्टेज में इंजीनियरिग की प्रारंभिक परीक्षा पास करके मैन एग्जाम पास किया। उसके बाद इंटरव्यू पास किया। फाइनल एग्जाम में 187 विद्यार्थी चयनित हुए, जिनमें विक्रम ढुल ने 88वां रैंक हासिल किया।

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पिता सुरेंद्र ढुल एसएसए में एपीसी हैं

विक्रम के पिता सुरेंद्र ढुल समग्र शिक्षा अभियान में सहायक जिला परियोजना संयोजक हैं। विक्रम तीन भाई-बहनों में मंझले हैं। बड़ा भाई रविद्र ढुल एमबीए पास करके राष्ट्रीय स्तर पर पोल्ट्री का व्यवसाय कर रहे हैं। रविद्र ढुल ने जुलाई में चीन में आयोजित इंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम में बिजनेस मॉडल प्रस्तुत कर 10 देशों के प्रतिनिधियों को पछाड़ कर विश्व स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया था।

गेट में था 46वां रैंक

विक्रम ढुल की स्कूली पढ़ाई जींद के गोपाल विद्या मंदिर और डीएवी स्कूल में हुई। उसके बाद आइआइटी दिल्ली से बीटैक की। राष्ट्रीय स्तर पर इसी साल हुई गेट की परीक्षा में विक्रम का 46वां रैंक था। विक्रम ने इसका श्रेय अपने परिवार के सदस्यों तथा पिता सुरेंद्र ढुल को दिया। विक्रम का सपना आइएएस बनना है, जिसके लिए वह काफी मेहनत कर रहा है। इस समय बेंगलुरू एयरपोर्ट पर इंजीनियर के तौर पर कार्यरत हैं।

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