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कोहरे में पिछले साल हुए थे 101 हादसे, नहीं लगाए सांकेतिक चिह्न और सफेद पट्टी

जिले की सड़कों पर बने खतरनाक मोड़ लोगों के लिए डेथ प्वाइंट साबित हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 08:40 AM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 08:40 AM (IST)
कोहरे में पिछले साल हुए थे 101 हादसे, नहीं लगाए सांकेतिक चिह्न और सफेद पट्टी
कोहरे में पिछले साल हुए थे 101 हादसे, नहीं लगाए सांकेतिक चिह्न और सफेद पट्टी

जागरण संवाददाता, जींद : जिले की सड़कों पर बने खतरनाक मोड़ लोगों के लिए डेथ प्वाइंट साबित हो रहे हैं। ये अंधे मोड़ प्रशासन के रिकॉर्ड में खतरनाक मोड़ की लिस्ट में भी शामिल हैं, लेकिन आज तक इन मोड़ों पर लोग सुरक्षित निकल सके, इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया। इन डेथ प्वाइंटों पर हर माह कोई न कोई बड़ा हादसा होता है, इन हादसों को रोकने की दिशा में प्रशासन की ओर से अभी तक कोई प्रबंध नहीं किया गया है। पिछले साल कोहरे के दिनों में सबसे 101 सड़क हादसे हुए। इसमें करीब 45 लोगों की जान गई, जबकि इन हादसों में करीब 85 लोग घायल हुए। कोहरे की शुरुआत नवंबर माह में शुरू होती है। पिछले नवंबर माह में 35 सड़क हादसे, दिसंबर में 32, जनवरी माह में 34 हादसे हुए। जिला, राज्य और राष्ट्रीय मार्गो पर बने तीव्र मोड़ और चौराहों पर दुर्घटनाओं से बचने के लिए न तो किसी प्रकार के सांकेतिक चिह्न लगाए गए हैं और न ही सफेद पट्टी लगाई गई हैं। कुछ डेथ प्वाइंटों के पास तो सड़कों पर झाड़ियां उगी हैं, जिससे दाई और बाई तरफ से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देते। पिछले वर्षो के आंकड़ों को देखें तो हर साल ये डेथ प्वाइंट 40 से 50 लोगों की जान ले लेते हैं। वर्ष 2018 में कोहरे के दिनों में दो बड़े सड़क हादसे हुए हैं। इसमें एक हादसा जींद-पानीपत मार्ग पर गांव तलौडा खेड़ी के निकट हुआ था। जहां पर हादसा हुआ है, उसके पास ही तीव्र मोड़ है। तीन दिन पहले ही तीव्र मोड़ के पास बने ढाबे के बाहर खड़े ट्राले से ईद मनाकर लौट रहे युवकों की इनेवा गाड़ी टकरा गई थी और इसमें छह युवकों की जान गई थी और छह लोग घायल हुए थे। इससे पहले हिसार-चंडीगढ़ मार्ग पर जाजनवाला गांव के निकट हिसार डिपो की रोडवेज पलटने से तीन यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 30 के करीब घायल हुए थे। जहां पर यह हादसा हुआ वहां पर भी खतरनाक मोड़ है और आए दिन कोई न कोई हादसा होता रहता है। स्पीड ब्रेकर भी अच्छी तरह से नहीं बनाए गए

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लगातार हो रहे सड़क हादसों को देखते हुए यातायात पुलिस ने जिले में 31 डेंजर जोन घोषित किए हैं। जहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। विशेष बात यह है कि इन डेंजर जोन पॉइंटों पर भी हादसों को रोकने के लिए विभाग की ओर से सांकेतिक बोर्ड स्पीड ब्रेकर आदि भी पूरी तरह से नहीं बनाए गए हैं। कई सड़कों पर तो सफेद पट्टी भी नहीं है। बाईपास पर सबसे खतरनाक मोड़

सबसे ज्यादा खतरनाक मोड़ ईक्कस गांव से निकल रहे बाईपास पर बड़ा बीड़ वन में बना मोड़ है। इसके अलावा नरवाना में कैंची मोड़ और गांव ईक्कस के निकट टी प्वाइंट सबसे खतरनाक है। ईक्कस गांव के पास से निकले गए बाईपास पर बड़ा बीड़ में खतरनाक मोड़ है। यहां पर प्रतिदिन कोई न कोई हादसा हो रहा है। अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है। यहां हैं खतरनाक मोड़

जींद-नरवाना मार्ग : शुगर मिल के पास, सिरसा ब्रांच नहर के पास, बड़ौदा के पास, उचाना में करसिधु मोड़, बाबा की जोहड़ी वाला मोड़, सफा खेड़ी मोड़। नरवाना-हिसार : सुंदरपुरा चौक, सच्चाखेड़ा-बद्दोवाला के बीच, जानजवाला के निकट। नरवाना-चंडीगढ़-पटियाला रोड : ढाकल गांव के पास, बेलरखां-उझाना मोड़ और हथो मोड़। जींद-करनाल-कैथल : शाहपुर गांव के पास मोड़, नगूरां बाईपास स्कूल के पास व बिजली घर के पास, दालमवाला मोड़, अलेवा बाबा की जोहड़ी के पास व अलेवा चौक। जींद-पानीपत : मनोहपुर गांव के पास, खेड़ी व जामनी चौक, सिल्लाखेड़ी चौक जींद-गोहाना : भंभेवा टी प्वाइंट व सिधवीखेड़ा के पास। जींद-रोहतक : ब्राह्मणवास मोड़, जुलाना की नई अनाज मंडी व गोसाई खेड़ा के पास। जींद-हांसी : बरवाला रोड, ईक्कस टी प्वाइंट, रामराये स अड्डा, ईंटल मोड़ तीव्र मोड़ों पर दुर्घटनाएं रोकने के लिए समय-समय पर समीक्षा होती रहती है और इन मोड़ों के मुद्दों को उठाया जाता है। इसके लिए संबंधित विभागों को पत्र लिखा गया है। हादसों में कमी आए इसके लिए यातायात नियमों के बारे में जागरूक किया जाता है।

राजाराम, इंचार्ज ट्रैफिक ग्रामीण क्षेत्र।


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