सीखने की उम्र नहीं होती, आवश्यकता अविष्कार की जननी: डॉ. विद्यार्थी
डीएवी जींद जोन के स्कूलों के वेबिनार में क्षेत्रीय निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। आवश्यकता आविष्कार की जननी है। लॉडाउन के दौरान शिक्षकों पर यह बातें खरी उतरती हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : डीएवी जींद जोन के स्कूलों के वेबिनार में क्षेत्रीय निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। आवश्यकता आविष्कार की जननी है। लॉडाउन के दौरान शिक्षकों पर यह बातें खरी उतरती हैं।
डॉ. विद्यार्थी ने कहा कि हम बड़े-बड़े सेमिनार के माध्यम से टीचर की ट्रेनिग करवाते रहे हैं, जिनमें बड़े-बड़े रिसोर्स पर्सन बुलाए जाते हैं। यह पहला मौका है जब शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लासेज की ट्रेनिग किसी प्रसिद्ध रिसोर्स पर्सन या ट्रेनर से नहीं, बल्कि अपने घर के सबसे छोटे बच्चे से ली है। बड़े लोग तो ऑनलाइन क्लासेस से अनभिज्ञ थे। छोटे बच्चे जिन्हें हम मोबाइल का प्रयोग करने के लिए कोसते थे, वे इस कार्य में निपुण थे। उन्होंने ही अपनी मम्मी या दादी की मदद की है ऑनलाइन क्लास सीखने में। डॉ. विद्यार्थी ने बताया कि जींद जोन के 500 से भी अधिक शिक्षकों को ऑनलाइन दो दिन की ट्रेनिग दी गई है, जिसका विषय ऑनलाइन क्लासेज और चुनौतियां था।
कलीराम डीएवी पब्लिक स्कूल सफीदों की प्राचार्य रश्मि विद्यार्थी ने कहा कि एक साथ 500 से अधिक शिक्षकों को ऑनलाइन जोड़कर प्रशिक्षण देना नया और अनोखा अनुभव रहा। गणित की प्राध्यापिका गीता, फिजिक्स के सुरेश कुमार, बायोलॉजी के विजयपाल सिंह, नरवाना के प्राचार्य रविद्र कौशिक ने कहा कि हिदी और संस्कृत जैसे परंपरागत विषय ऑनलाइन क्लास पढ़ाने में थोड़े कठिन तो अनुभव हुए, परंतु बच्चों के उत्साह के सामने सब कुछ सरल हो गया। वेबिनार को जाखल से नीरज शर्मा, टोहाना से डॉ. माला उपाध्याय तथा रतिया से वीके धवन और राजेश तथा सुनीता मदान प्रमुख थे।