सपनों को डायरी में लिखा और अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक गई जींद की बेटी
इंटरनेशनल यूथ कांफ्रेंस की डायरेक्टर चुनी गई जींद के गांव देवरड़ की बेटी ग्लोबल हेल्थ
इंटरनेशनल यूथ कांफ्रेंस की डायरेक्टर चुनी गई जींद के गांव देवरड़ की बेटी
ग्लोबल हेल्थ लीडर बनना चाहती है डा. प्रियंका, हार्वर्ड से रिसर्च करना लक्ष्य
कर्मपाल गिल, जींद:
सपने बड़े हों तो रास्ते खुद बनते चले जाते हैं। जींद के छोटे से गांव देवरड़ की बेटी प्रियंका भी स्कूल में पढ़ते समय बड़े सपने देखती थी। तब दोस्त हंसते थे। लेकिन अब प्रियंका ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी धमक दिखानी शुरू कर दी है, तो उन्हीं दोस्तों को उस पर गर्व महसूस हो रहा है। बीते दिनों प्रियंका को इंटरनेशनल यूथ कांफ्रेंस की डायरेक्टर चुना गया है।
किर्गिजस्तान रिपब्लिक में चार साल पहले मेडिकल की पढ़ाई करने गई डा. प्रियंका चहल ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि उसने 11वीं तक की पढ़ाई गांव फरमाणा से और 12वीं गांव ब्राह्मणवास के स्कूल से की। स्कूल में वह अन्य सहपाठियों से अलग थी। उसका लक्ष्य जिदगी में कुछ अलग हटकर करना और बड़ा करना था। उसका सपना था कि जिदगी में ऊंची उड़ान भरकर सफलता की ऊंचाइयों को छूकर इलाके का नाम रोशन करूं। इसलिए वह अपने सपनों को एक डायरी में लिखती रहती थी। तब सहपाठी कहते थे कि चुपचाप पढ़ाई कर ले। कुछ नहीं रखा इन बड़ी-बड़ी बातों में। लेकिन मम्मी-पापा हमेशा हौसला बढ़ाते थे। पापा राजेंद्र सिंह गेस्ट टीचर हैं, जबकि मम्मी प्रवीन कुमारी निजी स्कूल में टीचर हैं। 12वीं के बाद किर्गिजस्तान में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए आई। यहां आते ही पढ़ाई के साथ वालंटियर और रिसर्च भी शुरू कर दी। बीते साल सितंबर में बेस्ट स्टूडेंट आफ सीआइएस (कामनवेल्थ आफ इंडिपेंडेंट स्टेटस) और दिसंबर में यंग साइंटिस्ट आफ सीआइएस का अवार्ड दिया गया। इसके अलावा बेस्ट स्टूडेंट आफ किर्गिस रिपब्लिक के अवार्ड से भी नवाजा गया। सीआइएस देशों में विज्ञान और शिक्षा के विकास में उनके योगदान के लिए शिक्षा मंत्रालय ने प्रतिष्ठित पदक और प्रथम डिग्री डिप्लोमा से सम्मानित किया। डा. प्रियंका कहती हैं कि ऊंचा उड़ने के लिए शिक्षा ने उसके पंखों को मजबूती दी है। इसलिए अब वह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर वूमन इम्पावरमेंट पर भी काम कर रही हैं। अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित वूमन एंबेसडर फोरम 2021 ने प्रियंका को विश्व की 200 वूमन लीडर्स और पहली पीढ़ी के कार्यकर्ताओं में चयनित किया। अब उसे इंटरनेशनल यूथ कांफ्रेंस की डायरेक्टर चुना गया है, जिसका मुख्यालय अमेरिका के बोस्टन में है। उम्मीद है कि जल्द ही यह कांफ्रेंस होगी। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसका लक्ष्य हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लेकर हेल्थ के क्षेत्र में रिसर्च करना है। वह ग्लोबल हेल्थ लीडर बनना चाहती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला सशक्तीकरण और हेल्थ लीडर के रूप में काम करने का लिया निर्णय
डा. प्रियंका बताती हैं कि अपने अतीत की तरफ झांक कर देखती हूं तो बड़ी खुशी होती है। शिक्षा ने ही मुझे अपनी वास्तविक क्षमता का पता लगाने की अनुमति दी। औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने से मेरे गांव के बाहर विशाल दुनिया के लिए मेरी आंखें खुल गईं और इसने मुझे सिखाया कि एक गांव की लड़की परिवार से मजबूत समर्थन के जरिए काफी कुछ कर सकती है। जबकि मेरी सहपाठिन कई बच्चों की मां बन चुकी हैं। अब मैं सोचती हूं कि वे भी उच्च शिक्षा ग्रहण करती तो इतनी जल्द गृहस्थी में नहीं उलझती। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला सशक्तीकरण और हेल्थ लीडर के रूप में काम करने का निर्णय लिया है। कुछ माह पहले नई दिल्ली के पहचान एनजीओ ने भी प्रियंका को युवा महिला नेतृत्व और अधिकारिता के लिए 12वां राजीव गांधी उत्कृष्टता पुरस्कार दिया है।
कोविड पर बड़ी रिसर्च का हिस्सा बनीं
डा. प्रियंका चहल ने यूथ वैक्सीन ट्रस्ट ग्लोबल रिपोर्ट अगस्त 2021 के तहत युवा लोगों द्वारा कोविड-19 के सबसे बड़े शोध अध्ययन में काम किया। ग्लोबल यूथ वैक्सीन ट्रस्ट प्रोजेक्ट यह पहचानने का प्रयास करता है कि दुनिया भर के युवा कैसे कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण के बारे में निर्णय ले रहे हैं। युवा शोधकर्ता और वैश्विक स्वास्थ्य अधिवक्ता के रूप में प्रियंका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ग्लोबल एंड ट्यूबरकुलोसिस कार्यक्रम के लिए युवा सलाहकार के रूप में भी भाग लिया। वह पेंसिल्वेनिया संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एसएनओ/टीयूएफएच अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नेटवर्क में यूरोप क्षेत्रीय प्रतिनिधि के रूप में कार्य करती हैं। वह यूरोपीय आयोग में यूरोपीय संघ जलवायु संधि राजदूत के रूप में भी सेवा कर रही हैं।