एप डाउनलोड के विरोध में अध्यापक संगठनों का प्रदर्शन आज
शिक्षा विभाग की ओर से जबर्दस्ती करवाए जा रहे एप डाउनलोड अव्यवहारिक ऑनलाइन शिक्षण और शिक्षा शिक्षक और स्कूल विरोधी नीतियों के खिलाफ सोमवार को शहर में जिलेभर सभी अध्यापक संगठन प्रदर्शन करेंगे। शिक्षक तालमेल कमेटी के आह्वान पर होने वाले इस प्रदर्शन में जिलेभर के अध्यापक सुबह नेहरू पार्क जींद में इकट्ठा होंगे और फिर प्रदर्शन करेंगे।
जागरण संवाददाता, जींद: शिक्षा विभाग की ओर से जबर्दस्ती करवाए जा रहे एप डाउनलोड, अव्यवहारिक ऑनलाइन शिक्षण और शिक्षा, शिक्षक और स्कूल विरोधी नीतियों के खिलाफ सोमवार को शहर में जिलेभर सभी अध्यापक संगठन प्रदर्शन करेंगे। शिक्षक तालमेल कमेटी के आह्वान पर होने वाले इस प्रदर्शन में जिलेभर के अध्यापक सुबह नेहरू पार्क जींद में इकट्ठा होंगे और फिर प्रदर्शन करेंगे।
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान साधुराम ने प्रदर्शन की तैयारियों को लेकर रविवार को अक्षर भवन में आयोजित बैठक में बताया कि शिक्षक तालमेल कमेटी के आह्वान पर जिले के सभी कैटेगरी के अध्यापक सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। संघ के जिला सचिव संजीव सिगला ने बताया कि अधिकतर स्कूलों में अध्यापकों से सम्पर्क किया जा चुका है व अध्यापकों में प्रदर्शन को लेकर जोश है। प्रदर्शन के माध्यम से मांग की जाएगी कि बर्खास्त पीटीआई भाई-बहनों को विभाग में पूरे मान-सम्मान के साथ समायोजित किया जाए। कला शिक्षकों की पैरवी हरियाणा सरकार और शिक्षा विभाग करे व इनकी सभी दस साल की एसीआर इनके प्रदर्शन का आधार हो। आए दिन नए एप के नाम पर शिक्षकों को बेवजह के तनाव में लाया जा रहा है। इस प्रक्रिया के इस रूप पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए। नई शिक्षा नीति मे पूर्ण रूप से 80 प्रतिशत जनता को शिक्षा से छीन लेने की साजिश है, इसलिए यह पूर्णता वापस ली जाए। हरियाणा के स्कूलों को सीबीएसई से जोड़ने की कवायद पर पूर्ण प्रतिबंध लगे। इस अवसर पर भूप सिंह वर्मा, सत्येंद्र कुमार, वेदपाल रिढ़ाल, महावीर पोपड़ा, सतेंद्र गौतम, परमात्मा प्रसाद, शमशेर कौशिक, महेंद्र गौतम, रोहतास आसन आदि मौजूद रहे।
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शिक्षकों की यह हैं मांगें
कक्षा पहली तथा दूसरी को किसी एनजीओ के हवाले नहीं किया जाए।
सभी प्रकार के प्रमोशन समयबद्ध किए जाएं।
ऑनलाइन तबादलों में आयु के साथ अनुभव को भी शामिल किया जाए।
मॉडल स्कूलों के रूप मे सरकार की नीयत ठीक है तो सबसे कम छात्र संख्या वाले स्कूल चुने और इन स्कूलों में दोनों माध्यम हों। किसी प्रकार की फीस न वसूली जाए।
शिक्षक के लिए कक्षा में ठहराव के समय को बढ़ावा दिया जाए।
सभी विषयों के शिक्षक प्रत्येक स्कूल में दिये जाएं।
मुख्य शिक्षक व मिडिल हेड को मुखिया के रूप में माना जाए। उसको कक्षा कक्ष का वर्कलोड नहीं दिया जाना चाहिए।
प्राथमिक स्कूलों में पूर्णकालिक पद सृजित करते हुए सभी स्कूलों मे चतुर्थ श्रेणी के पद भरे जाएं।
सभी प्रकार के गैर शैक्षिक कार्यों पर रोक लगाई जाए। वर्जन
सरकार की निजीकरण और जनविरोधी नीतियां शिक्षकों और बच्चों के हित में नहीं हैं। अध्यापक इन नीतियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए देश की समस्त ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 26 नवम्बर की हड़ताल में भाग लेंगे।
वेदपाल रिढाल, राज्य ऑडिटर, अध्यापक संघ