सस्पेंशन नहीं काम के आधार पर हो मूल्यांकन
आजकल प्रदेश की राजनीति में नया ट्रेंड चल पड़ा है। कोई भी मंत्री हो अपनी हनक दिखाने के लिए कर्मचारियों को सस्पेंड करने की सिफारिश कर देता है।
आजकल प्रदेश की राजनीति में नया ट्रेंड चल पड़ा है। कोई भी मंत्री हो, अपनी हनक दिखाने के लिए कर्मचारियों को सस्पेंड करने की सिफारिश कर देता है। इससे लोगों के बीच नेता की छवि रौब वाली बन जाती है। लोग भी नेताजी के गुणगान करने लग जाते हैं। सवाल है कि क्या सस्पेंशन के आदेश से ही नेता के काम का मूल्यांकन होगा? जिले के एक साहब कहते हैं कि अपने गब्बर जी सस्पेंशन करने में सबसे आगे हैं। उनके पास पांच साल से स्वास्थ्य और खेल विभाग हैं? जनता यह मूल्यांकन करे कि इन दोनों महकमों में वे कितना बदलाव लेकर आए। दोनों विभागों की क्या हालत है, पूरा हरियाणा इससे वाकिफ है। डॉक्टरों की भर्ती नहीं हो पाई है और पदकों का ग्राफ गिर गया है, लेकिन गब्बर जी की देखादेखी अब दूसरे मंत्रियों व आयोग के सदस्यों ने भी सस्पेंड करने का ट्रेंड अपना लिया है।
सिर्फ सेल्यूट मारने पर मिलेगा सम्मान
गणतंत्र दिवस पर हर साल अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को मुख्य अतिथि के हाथों सम्मानित किया जाता है। इस लिस्ट में नाम शामिल करवाने के लिए खूब लॉबिग होती है। सीनियर अधिकारियों के चहेते बिना उपलब्धि हासिल किए ही इस लिस्ट में अपना नाम लिखवा जाते हैं। इस बार मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित होने के लिए तगड़ी सिफारिशें चल रही हैं। ऐसे में फील्ड में मेहनत करने वालों की बजाय सिर्फ सेल्यूट मारने वालों को ही इस लिस्ट में जगह मिल गई है, जिससे मेहनती अफसरों में निराशा है। बड़े साहब ने एक कर्मचारी का लिस्ट में नाम लिखवा है। उसका काम सिर्फ साहब के कार्यालय का गेट खोलना व आते-जाते समय सेल्यूट मारना है। उनका नाम शामिल करने से उस अधिकारी का नाम कट गया, जिसने कई बड़े मामलों को सुलझाया है। लेकिन नाम कटने पर उसके हाथ में व्यवस्था को कोसने के सिवाय कुछ नहीं है।
सर्दी में भी अफसरों को छूट रहा पसीना
इस बार गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में झंडा फहराने के लिए मुख्यमंत्री के आने की खबर के चलते समारोह की तैयारियों को लेकर अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। शुक्रवार को समारोह की फाइनल रिहर्सल में कई कार्यक्रमों में खामियों को देखकर सीनियर अधिकारी अपने गुस्से पर काबू नहीं पा सके। उन्होंने अधीनस्थ अधिकारियों को मौके पर ही फटकार लगा दी। प्रदेश के मुखिया के सामने यह खामी सामने आने पर कार्रवाई करने तक की चेतावनी दे डाली। बावजूद इसके कुछ अधिकारी व कर्मचारी इस प्रदेश स्तरीय समारोह को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उनकी इस कार्यशैली से सीनियर अधिकारियों को सर्दी में पसीना आ रहा है। उन्हें डर लग रहा है कि ऐसी खामी गणतंत्र समारोह में न हो जाए और गड़बड़ी का खामियाजा उन्हें खुद न भुगतना पड़ जाए। डीसी और एसएसपी के अलावा आईजी ने खुद ही तैयारियां दुरुस्त करने का मोर्चा संभालना पड़ा।
सीएम तक पहुंचने ही नहीं देंगे
बीते एक सप्ताह से सभी विभागों के अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को यह समझाने में जुटे हैं कि लोगों के काम जल्दी करो। किसी को नाराज करके न भेजो। जिसका काम नहीं होता है, उसे विनम्रता से जल्द समाधान करने की बात कहो। इन अधिकारियों को डर है कि उनके विभाग से संबंधित कोई शिकायत गणतंत्र दिवस पर जींद आ रहे मुख्यमंत्री तक न पहुंच जाए। इसलिए बीते एक सप्ताह में शिकायत की थोड़ी सी आहट से ही अधिकारी व कर्मचारी समाधान के लिए तत्पर दिखे। सभी कार्यालयों में काम की रफ्तार भी बढ़ी रही। पटियाला चौक पर एक कॉलोनी की महिलाओं ने गंदे पानी की शिकायत सीएम तक पहुंचाने की बात कही तो अफसर उन्हें मनाने में जुट गए। इसी तरह अन्य लोगों के ऐसे तेवर देखकर प्रशासन ने भी योजना बना ली है कि सिक्योरिटी का ऐसा मजबूत घेरा बना दिया जाए कि कोई सीएम तक नहीं पहुंच पाए।