पढ़ाई बाधित न हो, इसलिए ग्रामीणों ने गांव में खोल दी लाइब्रेरी
कोरोना के कारण जब लॉकडाउन लगा हुआ था और स्कूल-कॉलेज कोचिग सेंटर सब बंद थे तो विद्यार्थियों को पढ़ने में दिक्कतें आ रही थीं। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसलिए आपदा को अवसर में बदलते हुए उचाना के बडनपुर के ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से गांव में ही लाइब्रेरी खोल दी।
जागरण संवाददाता, जींद : कोरोना के कारण जब लॉकडाउन लगा हुआ था और स्कूल-कॉलेज, कोचिग सेंटर सब बंद थे तो विद्यार्थियों को पढ़ने में दिक्कतें आ रही थीं। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसलिए आपदा को अवसर में बदलते हुए उचाना के बडनपुर के ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से गांव में ही लाइब्रेरी खोल दी। लाइब्रेरी खुलने के बाद रोजाना बडनपुर से नरवाना शहर में पढ़ने के लिए आने वाली छात्राओं को फायदा हुआ और उन्होंने गांव की लाइब्रेरी में ही कंपीटिशन की तैयारी शुरू कर दी। अब गांव की लाइब्रेरी में सैकड़ों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
पढ़ाई के मामले में उचाना का बडनपुर काफी अव्वल माना जाता है। 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम में गांव में 100 से ज्यादा मेरिट रहती है। अभी हाल ही में गांव के चार बच्चों ने नीट पास कर एमबीबीएस की राह चुनी है। एक बच्चे ने आइआइटी एग्जाम पास किया है।
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बेटियों को हुआ फायदा
हालांकि गांव में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग लाइब्रेरी खोली जा चुकी है, लेकिन लाइब्रेरी खोलने का ज्यादा फायदा बेटियों को हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार गांव की 30 से ज्यादा लड़कियां नरवाना शहर रोजाना पढ़ने के लिए जाती थीं। बस से आने और जाने में परेशानी तो होती थी, साथ ही समय भी बर्बाद होता था। गांव में लाइब्रेरी खुलने के बाद 50 से ज्यादा लड़कियां गांव की लाइब्रेरी में पढ़ रही हैं। गांव की लाइब्रेरी में बच्चे रात दो से तीन बजे तक पढ़ाई करते हैं।
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समय-समय पर लगाई जाती है क्लास
एजुकेशन प्रमोटर कमेटी के सदस्य राजेश श्योकंद, रणबीर श्योकंद ने बताया कि लाइब्रेरी में स्कूल के विद्यार्थी से लेकर कंपीटिशन की तैयारी करने वाले बच्चे आते हैं। पढ़ाई के दौरान बच्चों को अगर किसी तरह का संशय होता है तो समय-समय पर मैथ, रिजनिग, इंग्लिश की क्लासेज भी लगाई जाती हैं ताकि बच्चों को दिक्कत न आए। लाइब्रेरी में लाइट, इन्वर्टर की व्यवस्था है, जल्द ही वाईफाई भी लगा दिया जाएगा। लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए नाममात्र चार्ज लिया जाता है।