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रोजगारपरक कोर्स से टूट रहा विद्यार्थियों का मोह, बीए में बढ़ा रुझान

केंद्र और प्रदेश सरकार जहां डिजीटाइजेशन को बढ़ावा दे रही है लेकिन विद्यार्थियों का प्रोफेसनल कोर्स से मोह लगातार टूट रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 10:25 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 06:33 AM (IST)
रोजगारपरक कोर्स से टूट रहा विद्यार्थियों का मोह, बीए में बढ़ा रुझान
रोजगारपरक कोर्स से टूट रहा विद्यार्थियों का मोह, बीए में बढ़ा रुझान

प्रदीप घोघड़ियां, जींद

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केंद्र और प्रदेश सरकार जहां डिजीटाइजेशन को बढ़ावा दे रही है, लेकिन विद्यार्थियों का प्रोफेसनल कोर्स से मोह लगातार टूट रहा है। इस बार जींद जिले के सरकारी कॉलेजों में बीए में दाखिले के लिए मारामारी रही और सैकड़ों विद्यार्थी दाखिले की वेटिग लिस्ट में ही रह गए, लेकिन बीसीए और पीजीडीसीए कोर्स में सीटें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं।

बीसीए (बेचलर आफ कंप्यूटर एप्लिकेशन) कोर्स में कंप्यूटर से संबंधित ज्ञान मिलता है। यह एक प्रोफेसनल्स कोर्स माना जाता है। डिजीटाइजेशन के इस युग में हर चीज कंप्यूटराइज्ड हो रही है, इससे साफ है कि हर किसी को कंप्यूटर का ज्ञान होना जरूरी है। कंप्यूटर का ज्ञान आज की आवश्यकता बन गया है। बीसीए के बाद एमसीए करने से बड़े संस्थानों या साफ्टवेयर कंपनी में अच्छा पैकेज मिल जाता है। जींद जिले में बीसीए और पीजीडीसीए कोर्स की तरफ विद्यार्थियों का कोई मोह नजर नहीं आ रहा। बीसीए और पीजीडीसीए कोर्स कर बड़ी कंपनियों में अच्छे पैकेज पर नौकरी करने के बजाय बीए कोर्स में विद्यार्थियों के ज्यादा रूझान को लेकर एक्सपर्ट से बात की गई तो उनके अनुसार बीकाम, बीएससी, बीबीए, बीसीए की बजाय बीए करने के बाद ज्यादा विकल्प खुले रहते हैं।

सरकारी कालेजों में बीसीए, पीजीडीसीए की सीट भी नहीं हो पा रही पूरी

जींद के राजकीय पीजी कालेज, महिला कालेज, नरवाना के राजकीय कालेज में बीसीए कोर्स की 160 सीटें उपलब्ध हैं। पूरे जिले में 10 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों में से 160 विद्यार्थी भी बीसीए कोर्स में रूचि नहीं ले रहे। राजकीय पीजी कालेज में बीसीए की 60 सीटों पर मुश्किल से 45 विद्यार्थियों ने ही दाखिला लिया है तो पीजीडीसीए की 60 सीटों पर आवेदन ही केवल 28 आए। इनमें से भी सभी ने दाखिला नहीं लिया। पिछले 3 सालों से राजकीय पीजी कालेज में बीसीए कोर्स की सीटें हर बार खाली रह जाती हैं। ऐसा ही हाल राजकीय महिला कालेज और नरवाना के राजकीय कालेज का भी है।

आर्टस लेकर कंपटीशन टेस्टों की तैयारी करने के मकसद से बीए की तरफ ज्यादा ध्यान : सीमा ढांडा

राजकीय पीजी कालेज की प्राध्यापिका सीमा ढांडा ने बताया कि बीसीए और बीबीए के बजाय बीए कोर्स को विद्यार्थी इसलिए भी ज्यादा चुनते हैं कि आर्टस से स्नातक करने के बाद विद्यार्थी कंपटीशन टेस्टों की तैयारी कर सरकारी नौकरी में जाना चाहते हैं। आर्टस संकाय से आसानी से स्नातक की जा सकती है। इसके अलावा जींद में कोई टेक्नीकल क्षेत्र भी नहीं है, इसलिए अगर कोई टेक्नीकल कोर्स करता भी है तो उसे दिल्ली, गुरुग्राम की तरफ जाना पड़ेगा। इस कारण भी इन कोर्स से विद्यार्थी अपने हाथ पीछे खींच जाते हैं।

बीए करने के बाद खुल जाते हैं कई विकल्प : डॉ. आसरी

राजकीय महिला कालेज की प्राध्यापिका डॉ. सुमिता आसरी के बताया कि बीए करने के बाद कैरियर के और भी कई विकल्प खुल जाते हैं। बीए करने के बाद एलएलबी, एमए, एमबीए, बैंकिग, टीचिग तथा शिक्षण के अन्य क्षेत्र में विद्यार्थी भविष्य बना सकते हैं। बीसीए एक कंप्यूटर बेसड कोर्स है। इसमें केवल साफ्टवेयर कंपनी या कंप्यूटर क्षेत्र ही विकल्प हैं। बीबीए करने के बाद एमबीए करनी पड़ती है। उसके बाद प्रबंधन ही एकमात्र विकल्प इन विद्यार्थियों के लिए बचता है।


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