आज से दिल्ली के लिए चलेंगी छह बसें
करीब 218 दिनों बाद दिल्ली इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आइएसबीटी) पर हरियाणा रोडवेज की बसों की इंट्री शुरू हो गई है।
जागरण संवाददाता, जींद : करीब 218 दिनों बाद दिल्ली इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आइएसबीटी) पर हरियाणा रोडवेज की बसों की इंट्री शुरू हो गई है। दिल्ली के लिए बस सर्विस शुरू होने के बाद यात्रियों को काफी राहत मिली है। मंगलवार से रोजाना 6 बसें दिल्ली जाएंगी लेकिन लेकिन यात्रियों की संख्या बढ़ती है तो बसों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
कोरोना वायरस के कारण 25 मार्च से ही दिल्ली में बसों के प्रवेश की अनुमति नहीं थी। दिल्ली जाने वाले यात्रियों को बहादुरगढ़ या गुरुग्राम तक बस में जाकर आगे मेट्रो का सहारा लेना पड़ता था। कोरोना काल से पहले प्रदेश के विभिन्न डिपो से करीब 757 बसें और जींद डिपो से भी 8 से 9 बसें दिल्ली की तरफ जाती थी लेकिन कोरोना के कारण सभी तरह की ट्रांसपोर्ट गतिविधियां रूक गई थी, इसलिए हरियाणा रोडवेज की बसों के पहिये भी थम गए थे। जून में लोकल और अंतरजिला रूटों पर तथा अक्टूबर में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान में भी बसों का संचालन शुरू हो गया था लेकिन दिल्ली के लिए अभी तक अनुमति नहीं मिल पाई थी। सोमवार को दिल्ली ट्रांसपोर्ट की तरफ से सभी डिपो महाप्रबंधकों को पत्र जारी कर 50 प्रतिशत बसें चलाने की अनुमति दे दी।
2015 से पुराने मॉडल की बसों की दिल्ली में नो एंट्री
दिल्ली ट्रांसपोर्ट की तरफ से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करना होगा। जितनी बसें कोरोना काल से पहले आती थी, उससे 50 प्रतिशत बसों का ही संचालन करना होगा। दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को देखते हुए 2015 मॉडल से पुरानी बसों की दिल्ली में एंट्री नहीं होगी। अगर 2015 मॉडल से पुरानी बसों को दिल्ली में चलते पाया गया तो उसका चालान किया जाएगा।
जींद से यह रहेगा दिल्ली की तरफ बसों का टाइम
--सुबह 5 बजकर 10 मिनट
--6 बजकर 30 मिनट
--10 बजकर 20 मिनट
--10 बजकर 40 मिनट
--10 बजकर 20 मिनट
--10 बजकर 40 मिनट
--दोपहर 12 बजे
--एक बजकर 40 मिनट
कोविड-19 के नियमों का होगा पालन : योगेंद्र आसरी
जींद डिपो के ट्रैफिक मैनेजर योगेंद्र आसरी ने कहा कि दिल्ली के लिए सीधे बसें चलने से यात्रियों को काफी राहत मिली है। कोविड-19 के नियमों का पालन किया जाएगा। जींद डिपो से जो भी बसें दिल्ली की तरफ जाती हैं, वह 2018-19 मॉडल की हैं। पुरानी बसों को लोकल रूटों पर ही चलाया जाता है। लंबे रूटों पर नई बसें भेजी जाती हैं।