ना लगाएं आग, जीरो टिल ड्रिल व हैप्पी सीडर से सीधी बिजाई कर करें समय व पैसे की बचत
घिमाना गांव में दैनिक जागरण के पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे अभियान के तहत किसान जय सिंह के खेत में लाइव डेमो किया गया। इसमें कृषि विभाग के साथ मिल कर धान कटाई के बाद जीरो टिल ड्रिल से सीधे गेहूं की बिजाई करके किसानों को बताया गया कि इससे खेत तैयार करने में भी समय नहीं लगता और लागत भी काफी कम आती है।
जागरण संवाददाता, जींद : घिमाना गांव में दैनिक जागरण के पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे अभियान के तहत किसान जय सिंह के खेत में लाइव डेमो किया गया। इसमें कृषि विभाग के साथ मिल कर धान कटाई के बाद जीरो टिल ड्रिल से सीधे गेहूं की बिजाई करके किसानों को बताया गया कि इससे खेत तैयार करने में भी समय नहीं लगता और लागत भी काफी कम आती है। सहायक तकनीकी प्रबंधक अनिल ने बताया कि धान की कटाई के बाद किसानों को गेहूं बिजाई की जल्दी होती है। जानकारी के अभाव में कुछ किसान खेत को जल्दी तैयार करने के चक्कर में धान कटाई के बाद फसल अवशेष में आग लगा देते हैं। इससे पर्यावरण पर तो असर पड़ता ही है। साथ ही जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कमजोर होती है। जमीन के अंदर के पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। जिससे जमीन पीना बंद कर देती है। जिसका सीधा असर अगली फसल पर पड़ता है और उत्पादन घट जाता है। वहीं अगर फसल अवशेष को खेत में मिला दें, तो इससे जमीन को जरूरी पोषक मिलेंगे। जीरो टिल ड्रील व हैप्पी सीडर से धान कटाई के बाद सीधे गेहूं की बिजाई की जाती है। जिससे खेत की जुताई करने की जरूरत नहीं होती। इस प्रक्रिया से जुताई पर होने वाला किसान का खर्च बच जाता है और सिचाई में पानी भी कम खर्च होता है। मास्टर सुनील आर्य ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी हम सबकी है। खेत में आग लगा कर किसान खुद के पैर में कुल्हाड़ी ना मारें। फसल अवशेष को खाद के रूप में प्रयोग करें। पिछले सालों की तुलना में इस बार किसान ज्यादा जागरूक हैं और काफी किसानों ने अपने स्तर पर ही फसल अवशेष को खाद के रूप में काम लेना शुरू कर दिया है। जिसके उन्हें सकारात्मक रिजल्ट मिले हैं।
समय की भी बचत
किसान जयसिंह ने बताया कि उसने अपने पूरे खेत में जीरो टिल ड्रिल से गेहूं की बिजाई की है। जुताई कर खेत तैयार करने में दो से तीन दिन का समय लग जाता है। जबकि जीरो टिल ड्रिल से प्रति एकड़ गेहूं की बिजाई में एक घंटे से भी कम समय लगता है और खर्च भी बहुत कम है। उत्पादन भी अच्छा रहता है।
पराली के गलने से जल्दी बनती खाद
किसान राजेश ने बताया कि पराली काटने के बाद खेत में जल्दी ही गल जाती है। जिससे गेहूं की पैदावार बढ़ती है। किसान पराली को चारे व बचे हुए फसल अवशेष को खेत में मिला कर खाद के रूप में प्रयोग करें। पराली जला कर खुद व दूसरों के दुश्मन ना बनें।
फसल अवशेष प्रबंधन दिया जाए जोर
किसान कप्तान ने कहा कि पराली जलाना गलत है, इस बारे में किसान भली-भांति परिचित हैं। कंबाइन से कटाई के बाद खेत में जो फसल अवशेष बचते हैं, वे चारे के रूप में प्रयोग नहीं हो सकते। इन्हें काट कर इकट्ठा करने के लिए विशेष कृषि यंत्र सरकार किसानों को उपलब्ध कराए।