देश की आत्मा को बचाने के लिए लड़ा जा रहा धर्मयुद्ध : संधू
संवाद सूत्र उचाना तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ खटकड़ टोल के पास धरना दे रहे किसानों क
संवाद सूत्र, उचाना : तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ खटकड़ टोल के पास धरना दे रहे किसानों के बीच शहीद भगत सिंह के पौत्र यादवेंद्र संधू पहुंचे। यहां पहुंचने पर किसानों विशेषकर युवाओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। यादवेंद्र संधू ने कहा कि तीन महीने से ज्यादा समय हो चुका है, जब देश के धरती पुत्र तीनों कृषि कानूनों को रद करवाने की मांग को लेकर दिल्ली के विभिन्न बार्डरों पर संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष के दौरान 300 के करीब किसान मौत का ग्रास बन चुके हैं। ये किसान योद्धा थे जो अपनी मांगों को लेकर आनी जान की कुर्बानी दे चुके हैं। हमें बताया जाता है कि देश की 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, देश की आत्मा को अगर देखना है तो गांव में जाना होता है। ये संघर्ष, ये लड़ाई ये धर्मयुद्ध देश की आत्मा को बचाने के लिए लड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीन कानून देश की फसल, देश की नस्ल को बर्बाद करने के लिए निकाले गए हैं। लाखों लोगों ने देश को आजाद करवाने के लिए कुर्बानी दी थी। उनकी एक ही पहल, मांग होती थी कि देश के अन्नदाता, मजदूर को उसका हक मिले। सत्ता परिवर्तन तो हो गया, लेकिन हम व्यवस्था परिवर्तन नहीं करवा पाए। हम लोगों ने हर बार राजनेताओं पर भरोसा किया। हमने चुन-चुन कर संसद में भेजा। संसद में जाकर कोई कांग्रेस का बन गया, भाजपा का बन गया या दूसरी पार्टियों का बन गया। कोई भी वहां जाकर किसान, सच्चा हिदुस्तानी नहीं बन पाया इसलिए किसानों को आज सड़कों पर आना पड़ रहा है। संधू ने कहा कि आज से काफी साल पहले लाल बहादुर शास्त्री ने एक नारा दिया था जय जवान, जय किसान। वो नारे का अनुसरण हमारी पीढि़यों ने किया। वो हिदुस्तान जो अकाल के गर्भ में रहता था, हमें गेहूं तक बाहर से लानी पड़ती थी। इस मौके पर सतबीर पहलवान, कैप्टन भूपेंद्र जुलानी, बिजेंद्र सिधू, टेकराम छापड़ा, रामनिवास करसिधु, राजेंद्र बरसोला, अमरजीत, महीपाल, राकेश खटकड़, जयबीर, पालाराम, मेवा करसिधु, जंगीर पालवां, पनमेर्श्वरी, कृष्णा देवी, कमला जुलानी मौजूद रहे।