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बिजली निगम की लापरवाही से सूख गई धान की पौध

अगर कोई प्राकृतिक आपदा की वजह से फसल खराब हो जाती है तो इसमें कुछ नहीं किया जा सकता लेकिन यहां तो बिजली निगम भी धरतीपुत्र किसानों के पीछे पड़ा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 06:06 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 06:06 AM (IST)
बिजली निगम की लापरवाही से सूख गई धान की पौध
बिजली निगम की लापरवाही से सूख गई धान की पौध

जागरण संवाददाता, जींद : अगर कोई प्राकृतिक आपदा की वजह से फसल खराब हो जाती है तो इसमें कुछ नहीं किया जा सकता लेकिन यहां तो बिजली निगम भी धरतीपुत्र किसानों के पीछे पड़ा हुआ है। उचाना सब डिवीजन के तहत आने वाले डूमरखां खुर्द, डूमरखां कलां, तारखां, अलीपुरा समेत कुछ और गांवों के किसानों को पिछले एक सप्ताह से खेतों की बिजली नहीं मिल पाई, जिसके चलते उनकी धान की पौध सूख गई। शिकायत करने के बाद भी समाधान नहीं हुआ तो सोमवार को किसानों का धैर्य जवाब दे गया और सोमवार को उचाना सब डिवीजन पहुंचकर किसानों ने बिजली मंत्री और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

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सब डिवीजन पहुंचे डूमरखां के जसविद्र श्योकंद, मनीष कुमार, हसंपाल, देवेंद्र सिंह, नरसी, ओमप्रकाश, राजबीर सिंह, नवीन शर्मा, काला, सीपी शर्मा ने कहा कि खेतों में आठ घंटे बिजली छोड़ी जाती है। इसके लिए समय निर्धारित किया हुआ है लेकिन पिछले एक सप्ताह से उन्हें बिजली की सप्लाई नहीं मिल पा रही। बिजली नहीं आने की समस्या से बिजली विभाग के लाइनमेन और जेई को अवगत करवाया गया लेकिन बिजली समस्या को दूर नहीं किया गया। किसानों ने आरोप लगाया कि बिजली लाइन से घासो तक तो बिजली आती है लेकिन आगे के गांवों में बिजली नहीं आ रही। इसमें जेई और लाइनमेन की लापरवाही है। जेई लाइन काटकर घर चला जाता है। उनके पास फोन करते हैं तो वह अभद्र व्यवहार करता है।

दोबारा से करनी पड़ेगी धान की पौध : जसविद्र श्योकंद

किसान जसविद्र डूमरखां ने कहा कि बिजली नहीं आने की वजह से धान की पौध सूख गई। अब दोबारा से धान की पौध तैयार करनी पड़ेगी। बिजली विभाग की लापरवाही से प्रत्येक किसान को 10 हजार रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। खेतों में रहने वाले परिवारों तथा पशुओं को प्यासे रहना पड़ रहा है। बिजली विभाग को चाहिए कि उनकी समस्या का तुरंत समाधान किया जाए। घासो से आगे बिजली नहीं आने से घसों और दूसरे गांवों के बीच भी तनाव पैदा हो रहा है।

दशकों पुरानी लाइन, नहीं हो रही मेंटेनेंस

इन गांवों के किसानों ने बताया कि खेतों से गुजर रही यह लाइन 1980 के दशक की है, जो अब जर्जर हो चुकी है। तारें इतनी नीचे लटक रही हैं कि ट्रैक्टर भी नीचे से नहीं गुजर सकता। इससे हादसा होने की आशंका बनी रहती है। लाइन की मेंटीनेंस भी नहीं की जा रही। उन्होंने मांग की कि लाइन को बदला जाए।

जल्द किया जाएगा समाधान : एसडीओ

उचाना सब डिविजन के एसडीओ अमित ने कहा कि उनकी समस्या का जल्द ही समाधान कर दिया जाएगा। लाइन में कहीं फाल्ट है तो उसे ठीक किया जा रहा है।


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